वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को लोकसभा में मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी. इसे लेकर सभी तरह की तैयारियों को आखिरी रूप दिया जा रहा है. हर बार की तरह इस बार के बजट में भी क्या कुछ खास होगा, इस पर पीएम मोदी की भी नजर है. यही वजह है कि पीएम मोदी अर्थशास्त्रियों से लेकर अपने कैबिनेट मंत्रियों तक से बैठकें कर रहे हैं. पीएम मोदी बजट की हर एक चीज को अपने स्तर से देखना और समझना चाहते हैं ताकि बजट आम जनता के ज्यादा अनुरूप बनें. पीएम मोदी ने पेश होने वाले केंद्रीय बजट से पहले अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक की, इस दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद रहीं.
पीएम नरेंद्र मोदी की अर्थशास्त्रियों के साथ होने वाली बैठक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आगामी केंद्रीय बजट 2024-25 को लेकर प्री-बजट बैठकों के खत्म होने के बाद हो रही है. वित्त मंत्री ने 19 जून से 05 जुलाई के बीच 10 स्टेकहोल्डर समूहों से जुड़े 120 से अधिक विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की, जिसमें किसान संघों, कृषि अर्थशास्त्रियों, ट्रेड यूनियन; शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र, रोजगार एवं कौशल, एमएसएमई, व्यापार एवं सेवाएं, उद्योग, अर्थशास्त्री, वित्तीय क्षेत्र और पूंजी बाजार, साथ ही, बुनियादी ढांचा, ऊर्जा और शहरी क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ और प्रतिनिधि शामिल थे.
उद्योग जगत में बजट को लेकर इस बार वित्त मंत्री के सामने मांगों की लम्बी चौड़ी सूची सौपीं है. उद्योग संघ FICCI के पूर्व अध्यक्ष और Indian Metals & Ferro Alloys Ltd के मैनेजिंग डायरेक्टर सुभ्राकान्त पांडा ने वित्त मंत्री के सामने Budget 2024-25 को लेकर एक विस्तृत प्रेजेंटेशन किया है. एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में सुभ्राकान्त पांडा ने कहा कि वित्त मंत्री का विशेष फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में बजट आवंटन बढ़ाने और देश में स्टार्ट-अप कल्चर को मज़बूत करने पर होने चाहिए.
तो ऐसे तैयार होता है आम बजट
अगर बात आम बजट को तैयार करने की करें तो इसके लिए वित्त मंत्री की सचिवों और विशेषज्ञों के साथ बैठकें करती हैं. बजट पर वित्त मंत्रालय की नियमित बैठकों में वित्त सचिव, राजस्व सचिव, व्यय सचिव, बैंकिंग सचिव, संयुक्त सचिव (बजट) के अलावा केंद्रीय सीमा एवं उत्पाद शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष भी हिस्सा लेते हैं.
बैठकों के दौर के बाद वित्तमंत्री को बजट पर मिलने वाले योजनाओं और खर्चों के सुझाव वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग को भेजे जाते हैं. जबकि अगर बात टैक्स से जुड़े सुझाव की करें तो ये वित्त मंत्रालय की टैक्स रिसर्च यूनिट को भेजे जाते हैं. बजट निर्माण प्रकिया के समन्वय का काम वित्त मंत्रालय का संयुक्त सचिव स्तर का एक अधिकारी करता है. इसी अधिकारी के पास बजट का निर्माण से लेकर बैठकों के समय तय करने का काम इसी अधिकारी के पास होता है.
बेहद गोपनीय रखे जाते हैं बजट से जुड़ी जानकारी
बजट निर्माण से लेकर इस बार के बजट में क्या कुछ खास है, इसे इतना गोपनीय रखा जाता है कि संसद में बजट पेश होने तक इसकी भनक किसी को नहीं होती. इस गोपनीयता को सुनिश्चित करने के लिए वित्त मंत्रालय के कुछ दफ्तरों को एक बंद 'किले' के तौर पर में तब्दील कर दिया जाता है. इस दौरान ना तो कोई अधिकारी बाहर जाता है और ना ही कोई बाहर से अंदर आता है.
बजट से जुड़ी कुछ खास बातें
आपको बता दें कि आजाद भारत का पहला बजट षणमुगम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था. देश के पहले बजट में किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगाया गया था. चेट्टी के बाद वित्त मंत्री जॉन मथाई ने पहला संयुक्त भारत बजट पेश किया था. आपको जानकर हैरानी होगी की 1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी भाषा में ही छपता था. बाद में इसे अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी भाषा में भी छापने की परंपरा शुरू हुई. मोरारजी देसाई ने बतौर वित्तमंत्री सबसे ज्यादा दस बार बजट पेश किया. मौजूदा वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 2020 का बजट भाषण सबसे लंबा बजट भाषण था. यह भाषण करीब दो घंटे चालीस मिनट तक चला था.