Explained : भारत में प्रत्येक रुपया कहां से आता है और कहां जाता है, ऐसे समझिए गणित

भारत सरकार की कमाई का प्रत्‍येक एक रुपया कहां से आता है और जब सरकार जब भी प्रत्‍येक एक रुपया खर्च करती है तो यह कहां जाता है? सरकार की कमाई और खर्चे का गणित समझिए.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
प्रतीकात्‍मक
नई दिल्‍ली:

भारत सरकार (Government of India) की कमाई का प्रत्येक रुपये में से 34 पैसे उधारी और देनदारियों के माध्यम से आते हैं, जबकि वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax) का योगदान 17 पैसे होता है. 2023 के केंद्रीय बजट से यह जानकारी मिली है. इसके साथ ही आयकर और कॉरपोरेशन टैक्‍स हर साल अर्जित प्रत्येक एक रुपये में 15 पैसे का योगदान देते हैं. इसके साथ ही केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क से क्रमशः सात और चार पैसे आते हैं. इसके बाद शेष आठ पैसे गैर-कर प्राप्तियों और गैर-ऋण पूंजीगत प्राप्तियों से आते हैं. 

केंद्रीय बजट 2023 के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र के बकाया आंतरिक और बाह्य ऋण और अन्य देनदारियों का अनुमान 1,69,46,666.85 करोड़ रुपये है. जबकि दूसरी ओर जीएसटी 2023-24 में 8,54,000 करोड़ रुपये से 12 प्रतिशत बढ़कर 9,56,600 करोड़ रुपये होने का अनुमान जताया है. 

भारत की आबादी के एक छोटे से हिस्से के द्वारा ही आयकर का भुगतान किया जाता है. इसके 2023-24 में 9 लाख करोड़ रुपये को पार करने की उम्मीद है. वहीं कंपनियों की आय पर कॉरपोरेशन टैक्‍स है, जिसके मार्च 2024 तक 9,22,675 करोड़ रुपये होने का अनुमान है.

Advertisement

कुल ऋण और देनदारियों के साथ ये दो कर सरकार की कुल आय में 64 प्रतिशत का योगदान देते हैं, जो 2023-24 में 45 लाख करोड़ रुपये है. 

Advertisement

एक रुपया जाता कहां है?

सरकार की वार्षिक आय में ऋण और देनदारियों का प्रतिशत काफी अधिक है. हालांकि इसका एक अर्थ यह भी है कि ब्याज भुगतान 2023-24 में व्यय का 20 प्रतिशत है. अन्‍य शब्‍दों में सरकार द्वारा खर्च किए जाने वाले प्रत्येक रुपये में से 20 पैसे ऋण और देनदारियों के पुनर्भुगतान में चले जाते हैं. 

Advertisement

केंद्र के लिए व्यय का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा करों और शुल्कों से अर्जित राजस्व को राज्यों के साथ साझा कर रहा है, यह 18 प्रतिशत है. राज्यों के साथ साझा की जाने वाली कुल राशि वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 10.21 लाख करोड़ रुपये है, जो 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, साझा करने योग्य केंद्रीय करों की कुल शुद्ध आय का 41 प्रतिशत है. 

Advertisement

केंद्रीय बजट 2023 के अनुसार, यूपी और बिहार राज्यों को केंद्रीय करों और शुल्कों के कुल हिस्से का करीब 28 प्रतिशत दिया जाएगा. 

केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं (17 प्रतिशत) और केंद्र द्वारा प्रायोजित (9 प्रतिशत), जो क्रमशः 100 प्रतिशत केंद्र द्वारा वित्तपोषित और आंशिक रूप से केंद्र द्वारा वित्त पोषित हैं, कुल सरकारी खर्च का एक-चौथाई से अधिक है. एक रुपये के लिहाज से इन योजनाओं में 26 पैसे जाते हैं. 

केंद्र द्वारा खर्च किए जाने वाले प्रत्येक एक रुपये में से आठ पैसे रक्षा बजट में जाते हैं. 2023 में रक्षा बजट 5.94 लाख करोड़ रुपये है, जो केंद्र के कुल बजटीय व्यय का 13.2 प्रतिशत है.

कम से कम सात पैसे सब्सिडी में जाएंगे, यह 2022-23 के मुकाबले एक पैसे कम है. केंद्रीय बजट में, केंद्र ने चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमानों की तुलना में खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम पर व्यय में 28 प्रतिशत की कटौती की है. 

Featured Video Of The Day
Shashi Tharoor vs Congress: Rahul Gandhi के बयान पर थरूर की बड़ी बात | Khabron Ki Khabar