वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 में 1 अक्टूबर 2022 से देश में बिना इथेनॉल के मिश्रण वाले पेट्रोल-डीजल पर ₹2 प्रति लीटर के हिसाब से अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव रखा है. महंगाई के इस दौर में वित्त मंत्री के इस प्रस्ताव पर एक बड़ी बहस छिड़ गई है. दरअसल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने संबोधन में कहा कि ईंधन का मिश्रण इस सरकार की प्राथमिकता है. ईंधन के सम्मिश्रण के प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए, असंबद्ध ईंधन पर 1 अक्टूबर 2022 से 2 रुपये प्रति लीटर का अतिरिक्त अंतर उत्पाद शुल्क लगेगा.
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इसको लेकर अब तमाम सवाल उठ रहे हैं. जिनमें सबसे अहम सवाल है कि 1 अक्टूबर 2022 से क्या Unblended Fuel पर ₹2 प्रति लीटर की अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी का आर्थिक बोझ तेल कंपनियां कंपनियां खुद वहन करेंगी या आम उपभोक्ताओं पर ट्रांसफर करेंगे? उद्योग संघ पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का मानना है कि इससे सरकारी तेल कंपनियों का इनपुट कॉस्ट बढ़ेगा. यह डेडलाइन 31 मार्च 2023 तक होनी चाहिए थी.
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव सौरभ सान्याल ने कहा कि अभी भारत में पेट्रोल डीजल के टोटल प्रोडक्शन में इथेनॉल ब्लेंडिंग का शेयर सिर्फ 8% है, जबकि अमेरिका, यूरोप, कनाडा और जर्मनी में 30 फ़ीसदी तक इथेनॉल की ब्लेंडिंग पेट्रोल डीजल में की जा रही है. जो ऑइल रिफाइनरी पेट्रोल और डीजल बिना इथेनॉल के ब्लेंडिंग का प्रोडक्शन करेंगे, उन्हें ज्यादा टैक्स देना होगा.
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सवाल यह भी अहम है कि अगले 8 महीने में ऑयल रिफायनरी कंपनियां इथेनॉल ब्लेंडिंग कितना बढ़ा पाएंगी. इथेनॉल ब्लेंडिंग करने से CO2 एमिशन कम होगा, NET ZERO टारगेट के लिए इथेनॉल ब्लेंडिंग बेहद जरूरी है. इससे कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता भी कम होगी. लेकिन हम जो शुगरकेन से इथेनॉल बनाते हैं, उसके उत्पादन में पानी का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है और सिंचाई पर सब्सिडी भी प्रभावित होती है. भारत को इथेनॉल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए नए रास्ते तलाशने होंगे, जबकि भारत सरकार बिना इथेनॉल के मिश्रण वाले पेट्रोल डीजल पर अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी लगाने के प्रस्ताव आगे बढ़ाने की तैयारी कर चुकी है.
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