Budget 2021: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के तीसरे बजट में जहां मध्यम वर्ग को बहुत उम्मीद थी, वहीं इसमें लोगों को कोई खास राहत नहीं मिली. ना तो टैक्स स्लैब में कोई बदलाव किया गया और ना ही कोविड (COVID) योद्धाओं के लिए कोई ऐलान किया गया. कोविड महामारी से बदले हालात में परेशानी झेल रहा मध्यम वर्ग (Middle class) महंगाई से भी परेशान है. आम बजट (Union Budget) से इस वर्ग को उम्मीद थी जो पूरी नहीं हुई.
हेल्थ साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर शिल्पा देसाई को उम्मीद थी कि कोरोना काल में जिस तरह से डॉक्टरों ने परेशानी झेलते हुए लोगों की सेवा की, उसे देखते हुए डॉक्टरों के लिए बजट में कोई ऐलान ज़रूर किया जाएगा. स्वास्थ्य के लिए वित्त मंत्री की ओर से ऐलान किया गया तो जिस राहत की उम्मीद कोविड योद्धा कर रहे थे, वो उन्हें नहीं मिली. इसे लेकर वे मायूस नज़र आए.
कोरोना काल के बाद पेश किए गए इस बजट से आम आदमी जिस राहत की उम्मीद कर रहा था, उसे लेकर कई लोगों को मायूसी हुई. इस बजट में इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया, ना ही कोई अतिरिक्त टैक्स छूट का तोहफा मिला. सरकार ने इनकम टैक्स रिबेट की भी घोषणा नहीं की, लेकिन 75 वर्ष से ज़्यादा उम्र के बुजुर्ग, जिनकी आय का स्तोत्र केवल पेंशन है, उन्हें ITR नहीं भरना होगा.
नौकरीपेशा शशिकांत ने कहा कि ''बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन जारी है. पैसे कम हैं और खर्च ज़्यादा. लैपटॉप और दूसरी चीज़ें लेने में दिक्कत होगी.'' शकाला मसर्वकर ने कहा कि ''बजट में जो भी ऐलान हो, गैस की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. परेशानी बढ़ रही है.'' व्यवसायी पूर्णिमा शिरिष्कर ने कहा कि ''हम उम्मीद कर रहे थे कि गांवों में नेटवर्क और इंटरनेट को सुधारने के लिए कोई ऐलान होगा, अब सब डिजिटल हो रहा है. लेकिन कुछ नहीं हुआ.''
सरकार कह रही है कि जो ऐलान इस बजट में किया गया है उसका फ़ायदा लोगों को आने वाले सालों में होगा. लेकिन मध्यम वर्ग के लोग जो कोविड के बाद से ही परेशान हैं और जिन्हें उम्मीद थी कि बजट के बाद चीज़ें सुधरेंगी, उनमें से एक बड़े वर्ग को मायूसी का सामना करना पड़ा है.