Budget 2021 : अगले सप्ताह पेश होने वाले बजट में राजकोषीय घाटे यानी फिस्कल डेफिसिट को काबू में रखने पर बहुत ज्यादा जोर के बजाए अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के उपायों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. इंडिया रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है. राजकोषीय घाटा 2021-22 में 6.2 प्रतिशत जबकि इस साल 7 प्रतिशत के करीब रहने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में राजकोषीय घाटा 7.96 लाख करोड़ रुपये यानी जीडीपी का 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया था. लेकिन इंडिया रेटिंग्स के अनुसार सरकार अगर देनदारी का निपटान करती है और कुछ खर्चों को 2021-22 में ले जाती है तो यह 13.44 लाख करोड़ रुपये या 7 प्रतिशत तक जा सकता है.
इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेन्द्र पंत ने रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में राजकोषीय घाटा 6.2 प्रतिशत रखे जाने का अनुमान है. अगर बाजार मूल्य पर वृद्धि दर 14 प्रतिशत के आसपास और वास्तविक वृद्धि दर 9.5 से 10 प्रतिशत रहती है तो इसे हासिल किया जा सकता है. रिपोर्ट में 2021-22 में आर्थिक वृद्धि दर 9.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है. वहीं चालू वित्त वर्ष में 7.8 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान जताया गया है.
सरकार ने कोरोना वायरस महमारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को संबल देने के लिये उदार राजकोषीय नीति को अपनाया और आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत कई नीतिगत उपायों की घोषणा की. रेटिंग एजेंसी के अनुसार जो आर्थिक पैकेज दिये गये, यह 3.5 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 1.8 प्रतिशत बैठता है. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि इस पैकेज के बिना भी 2020-21 में 60,000 करोड़ रुपये राजस्व में कमी का अनुमान है. इसका कारण राजस्व प्राप्ति को लेकर अनुमान काफी ऊंचा रखा जाना है. इसमें कहा गया है, ‘इसको देखते हुए, यह साफ है कि 2020-21 में तीन कारणों से राजकोषीय घाटा बजटीय लक्ष्य 3.5 प्रतिशत से कहीं अधिक होगा.'
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रिपोर्ट के अनुसार तीन कारक हैं: 'अर्थव्यवस्था के आकार में कमी. 2020-21 में अर्थव्यवस्था का आकार 224.89 लाख करोड़ रुपये था जो अब कम होकर 194.82 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. यानी इसमें 13.4 प्रतिशत की कमी आयी है. दूसरा, राजस्व में अनुमान के मुकाबले कम वृद्धि और तीसरा महामारी से निपटने के लिये अधिक खर्च.' साथ ही अर्थव्यवस्था में 2017-18 से ही गिरावट देखी जा रही है. इससे राजकोषीय घाटा बढ़ा है. 2019-20 में यह 4.6 प्रतिशत पहुंच गया जो 2017-18 में 3.5 प्रतिशत था.
राजस्व प्राप्ति नवंबर 2020 के अंत में 8.13 लाख करोड़ रुपये रही जो पिछले तीन साल में सबसे कम है और अनुमान का केवल 40.2 प्रतिशत है. इसमें कर राजस्व अनुमान का 42.1 प्रतिशत जबकि गैर-कर राजस्व 32.3 प्रतिशत है जो काफी कम है.