- ब्रिक्स की बैठक का आयोजन यूएनजीए 80 के दौरान भारत की अध्यक्षता में हुआ, जिसमें 2026 की अध्यक्षता पर सहमति बनी.
- मंत्रियों ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई.
- बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार और भारत, ब्राजील की स्थायी सदस्यता के समर्थन पर जोर दिया गया.
न्यूयॉर्क-संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए 80) के अवसर पर आयोजित ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक में शुक्रवार को कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. इनमें 2026 में भारत की आगामी ब्रिक्स अध्यक्षता, आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग, और वैश्विक व्यापार में बढ़ती बाधाओं पर चिंता प्रमुख रहे.
बैठक की अध्यक्षता भारत ने की, जिसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सत्र का नेतृत्व किया. भारत अगले वर्ष ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालने जा रहा है और इस संदर्भ में उसे सभी सदस्य देशों का सर्वसम्मत समर्थन मिला.
बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया, “मंत्रियों ने यूएनजीए 80 के दौरान ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित करने के लिए भारत की सराहना की. उन्होंने 2026 में भारत की अध्यक्षता और XVIII ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए पूर्ण समर्थन व्यक्त किया.”
आतंकवाद पर सख्त रुख, पहलगाम हमले की निंदा
बैठक में 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी, की कड़े शब्दों में निंदा की गई. “मंत्रियों ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की पुष्टि की. उन्होंने आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही, वित्तपोषण और सुरक्षित पनाहगाहों पर चिंता जताई.”
यह बयान भारत द्वारा हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की टिप्पणी पर दिए गए जवाब के अनुरूप है, जिसमें भारत ने आतंकवाद के महिमामंडन की आलोचना की थी.
यूएनएससी सुधारों पर जोर
बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को अधिक लोकतांत्रिक, प्रतिनिधिक और प्रभावी बनाने की मांग दोहराई गई. “मंत्रियों ने भारत और ब्राजील की स्थायी सदस्यता की आकांक्षाओं का समर्थन किया. चीन और रूस ने भी इन देशों की बड़ी भूमिका निभाने की आकांक्षाओं के प्रति समर्थन जताया.”
मंत्रियों ने टैरिफ और गैर-टैरिफ उपायों में अंधाधुंध वृद्धि, संरक्षणवादी नीतियों, और एकतरफा व्यापार प्रतिबंधों पर गहरी चिंता व्यक्त की. “ऐसे उपाय वैश्विक व्यापार को बाधित करते हैं, आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित करते हैं और वैश्विक दक्षिण को हाशिए पर धकेलने का खतरा पैदा करते हैं.”
यह टिप्पणी अमेरिका द्वारा हाल ही में भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ लगाने के संदर्भ में भी देखी जा रही है. बैठक में ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका के अलावा ईरान, इंडोनेशिया, यूएई, इथियोपिया और मिस्र जैसे नए सदस्य देशों ने भी भाग लिया, जो ब्रिक्स के वैश्विक दक्षिण के मंच के रूप में बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है.