"झुकना झारखंड के लोगों के DNA में नहीं" : सीता सोरेन के BJP में शामिल होने पर कल्पना सोरेन

ऐसी अटकलें हैं कि कल्पना गांडेय सीट पर होने वाला उपचुनाव लड़ सकती हैं. यह सीट 31 दिसंबर को तत्कालीन झामुमो विधायक सरफराज अहमद के अचानक इस्तीफे के बाद खाली हो गई थी, जो बाद में 14 मार्च को राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए थे.

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रांची:

झामुमो की तीन बार की विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन के अपने पति के निधन के बाद “अलगाव और उपेक्षा” का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ने और भाजपा में शामिल होने के एक दिन बाद, कल्पना सोरेन ‘एक्स' पर लिखा, “झुकना झारखंड के लोगों के डीएनए में नहीं है”.

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को लोकसभा चुनावों से कुछ हफ्तों पहले झटका देते हुए शिबू सोरेन की बड़ी पुत्रवधू सीता ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पति दुर्गा सोरेन के निधन के बाद उन्हें और उनके परिवार को उपेक्षित और अलग-थलग कर दिया गया.

स्पष्ट तौर पर उन पर कटाक्ष करते हुए जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, “झारखंडी के डीएनए में नहीं है झुक जाना.”

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ऐसी अटकलें हैं कि कल्पना गांडेय सीट पर होने वाला उपचुनाव लड़ सकती हैं. यह सीट 31 दिसंबर को तत्कालीन झामुमो विधायक सरफराज अहमद के अचानक इस्तीफे के बाद खाली हो गई थी, जो बाद में 14 मार्च को राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए थे.

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गिरिडीह की गांडेय सीट पर संसदीय चुनाव के साथ 20 मई को उपचुनाव होगा. कल्पना का गिरिडीह में राजनीतिक रैलियों को संबोधित करने का कार्यक्रम है.

उनकी पोस्ट में हेमंत सोरेन के मन में अपने दिवंगत भाई दुर्गा के प्रति गहरे सम्मान को रेखांकित किया गया है. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि झामुमो की विरासत और संघर्ष को बनाए रखने के लिए दुर्गा सोरेन के निधन के बाद हेमंत ने अनिच्छा से राजनीति में प्रवेश किया.

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उन्होंने कहा, “हेमंत जी राजनीति में शामिल होना नहीं चाहते थे, लेकिन दुर्गा दादा के असामयिक निधन और बाबा के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें राजनीति में आना पड़ा. हेमंत जी ने राजनीति को नहीं, बल्कि राजनीति ने हेमंत जी को चुना है. जिन्होंने पहले आर्किटेक्ट बनने का फैसला किया था, उन पर झामुमो की विरासत और संघर्ष को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी थी.”

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कल्पना ने अपनी पोस्ट में कहा, “हेमंत जी के लिए दिवंगत दुर्गा दा केवल बड़े भाई नहीं थे, बल्कि पितातुल्य अभिभावक थे. 2006 में शादी के बाद इस परिवार का हिस्सा बनकर मैंने हेमंत जी का बड़े भाई के प्रति सम्मान और समर्पण और दुर्गा दा का हेमंत जी के लिए प्यार देखा.”

उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा का जन्म समाजवादी और वामपंथी विचारधारा के मिश्रण से हुआ है. कल्पना ने कहा कि झामुमो आज झारखंड में आदिवासियों, दलितों, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों सहित गरीबों, वंचितों और शोषितों की विश्वसनीय आवाज बनकर आगे बढ़ रहा है. कल्पना ने कहा, “जिन पूंजीपतियों और सामंतवादियों के खिलाफ बाबा और दिवंगत दुर्गा दा लड़ रहे थे उन्हीं ताकतों से लड़ते हुए हेमंत जी जेल गए. वे झुके नहीं. उन्होंने (हेमंत) एक झारखंडी की तरह संघर्ष का रास्ता चुना. वैसे भी हमारे आदिवासी समाज ने कभी पीठ दिखाकर आगे बढ़ना नहीं सीखा...सच तो सतत संघर्ष है.”

इससे पहले, सोरेन परिवार में दरार तब सामने आई थी जब सीता ने कल्पना को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी कदम का खुलकर विरोध किया था.

जामा से विधायक ने उन लोगों को शामिल करके पार्टी के मूल मूल्यों से विचलन का भी आरोप लगाया जिनके सिद्धांतों का पार्टी के विचारों से तालमेल नहीं है.

सीता ने कहा था, “हम सब को साथ रखने के लिए मेहनत करने वाले श्री शिबू सोरेन के अथक प्रयास दुर्भाग्य से विफल रहे. मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ रची जा रही साजिश का मुझे पता चल गया है. मेरे पास इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा.”

सीता सोरेन का भाजपा में शामिल होने का निर्णय झामुमो का मुख्य वोट आधार रहे अनुसूचित जनजाति के साथ उसके संबंध को बढ़ावा देने के पार्टी के प्रयासों के लिए एक झटका है. भाजपा ने कहा था, “सीता को रावण की लंका से मुक्त कराया गया है.”

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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