"बीजेपी को मांगनी चाहिए माफी": मराठा आरक्षण आंदोलन में हिंसा पर सुप्रिया सुले

राजनीतिक रूप से प्रभावशाली मराठा समुदाय के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रदान किये गये आरक्षण को उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिया था. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शांति की अपील की और घोषणा की कि हिंसा की उच्च स्तरीय जांच के लिए एक समिति गठित की जाएगी.

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मराठा, धनगर, लिंगायत और मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने पर हमारी स्थिति स्पष्ट- सुप्रिया सुले
मुंबई:

महाराष्ट्र के जालना जिले में मराठा आरक्षण आंदोलन शुक्रवार को हिंसक हो गया, जिसमें 38 पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हो गये. मराठा आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस लाठीचार्ज को लेकर बीजेपी सरकार की आलोचना करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि भाजपा सरकार ने समाज को धोखा दिया है और इसके लिए उन्हें मराठा समुदाय से माफी मांगनी चाहिए. 

सुप्रिया सुले ने अपने एक्स (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर लिखा, "मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. यह बहुत अपमानजनक है."

एनसीपी नेता ने कहा, "सच्चाई यह है कि बीजेपी ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने का भ्रम देकर वोट हासिल किए. लेकिन हकीकत यह है कि भाजपा ने आरक्षण के मामले में मराठा समुदाय को वादे देने के अलावा कुछ नहीं किया है."

उन्‍होंने ट्वीट में कहा, "मराठा, धनगर, लिंगायत और मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने पर हमारी स्थिति स्पष्ट है. लेकिन भाजपा ने लगातार इस संबंध में भ्रम बढ़ाने का रुख अपनाया है. यह अफसोस की बात है कि केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी और विचार की सरकार के बावजूद आरक्षण नहीं दिया गया है."

सुप्रिया सुले ने अपने ट्वीट में आगे कहा कि बीजेपी सरकार ने मराठा समुदाय के आंदोलनकारियों पर हमला करके समाज को धोखा दिया है. इसके लिए बीजेपी को मराठा समुदाय से माफी मांगनी चाहिए.

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पुलिस ने बताया कि अंबाड तहसील में धुले-सोलापुर रोड पर अंतरवाली सराथी गांव में हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े. ग्रामीणों ने दावा किया कि पुलिस ने हवा में गोलीबारी की, लेकिन अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की. मनोज जारांगे के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर मंगलवार से गांव में भूख हड़ताल कर रहे थे. 

राजनीतिक रूप से प्रभावशाली मराठा समुदाय के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रदान किये गये आरक्षण को उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिया था. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शांति की अपील की और घोषणा की कि हिंसा की उच्च स्तरीय जांच के लिए एक समिति गठित की जाएगी. वहीं, उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया कि पथराव के कारण पुलिस को लाठीचार्ज करने के लिए मजबूर होना पड़ा. 

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पुलिस ने बताया कि शुक्रवार को आंदोलन हिंसक हो गया और कुछ लोगों ने राज्य परिवहन की बसों और निजी वाहनों को निशाना बनाया. फडणवीस ने घायल पुलिसकर्मियों की संख्या 12 बताई, जबकि जालना जिले के पुलिस अधीक्षक तुषार दोशी ने देर रात बताया कि पथराव में 32 पुलिसकर्मी और छह अधिकारी घायल हुए हैं. उन्होंने बताया कि जिन लोगों को गंभीर चोटें आईं, उनका जालना नगर अस्पताल में इलाज किया जा रहा है.

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