भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने शनिवार को कहा कि टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा की सांसदी जाने से उन्हें पीड़ा हुई है, उन्होंने कहा कि उनके लिए खुशी का दिन नहीं था. महुआ मोइत्रा को ‘पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने' के मामले में शुक्रवार को ‘अनैतिक एवं अशोभनीय आचरण' के लिए लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया.
निशिकांत दुबे महुआ मोइत्रा के खिलाफ शिकायत वाले पहले सांसद हैं. जब उनसे पूछा गया कि मोइत्रा को निष्कासित किया गया तो क्या उनके लिए यह खुशी का दिन है तो उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए खुशी का दिन नहीं हो सकता.
न्यूज एजेंसी ANI ने उनका एक वीडियो ट्वीट किया है, जिसमें वह कह रहे हैं, "एक सांसद की भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलवाड़ के आरोपों की वजह से सदस्यता जाती है तो बतौर सांसद मुझे पीड़ा देता है. यह मेरे लिए खुशी का दिन नहीं था, गम का दिन था."
बता दें, महुआ मोइत्रा ने अपने निष्कासन की तुलना ‘कंगारू कोर्ट'(अवैध अदालत) द्वारा फांसी की सजा दिए जाने से करते हुए आरोप लगाया कि सरकार लोकसभा की आचार समिति को विपक्ष को झुकने के लिए मजबूर करने का हथियार बना रही है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने मोइत्रा को लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित करने के फैसले की निंदा की और इस कदम को देश के संसदीय लोकतंत्र के साथ "विश्वासघात" करार दिया है.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार को लोकसभा में मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया, जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. इससे पहले सदन में लोकसभा की आचार समिति की उस रिपोर्ट को चर्चा के बाद मंजूरी दी गई, जिसमें मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी.
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बता दें, भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति ने गत नौ नवंबर को अपनी एक बैठक में मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने' के आरोपों में लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट को स्वीकार किया था. समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था. इनमें कांग्रेस से निलंबित सांसद परनीत कौर भी शामिल हैं. समिति के चार विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट पर असहमति नोट दिए थे.
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