कांग्रेस सांसद और आईटी मामलों पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर की संसद की सदस्यता समाप्त करने की मांग की जा रही है. भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दूबे ने सदन के स्पीकर को चिट्ठी लिखकर थरूर की सदस्यता खत्म करने की मांग की है. संविधान की 10वीं अनुसूची के प्रावधानों के तहत उनकी सदस्यता खत्म करने की मांग की गई है. दूबे का आरोप है कि थरूर ने संसद और भारत सरकार की छवि को धूमिल किया है.
दूबे के मुताबिक, थरूर ने कोरोना के नए वेरिएंट को भारतीय वेरियंट का नाम दिया, जबकि खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे B.1.617 कहता है. उन्होंने कहा कि 'यह समझ के परे है कि एक भारतीय सांसद ऐसे अवैज्ञानिक और भारतीयों के प्रति अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल कैसे कर सकता है? भारत सरकार सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लिख चुकी है कि इंडियन वेरियंट शब्द को हटा दिया जाए, इसके बावजूद थरूर ने इसका इस्तेमाल किया.'
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दूबे ने थरूर और उनके बहाने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि 'वैसे तो स्टैंडिंग कमेटी संसद का विस्तार होती है, लेकिन थरूर ने इस समिति को कांग्रेस पार्टी का विस्तार बना दिया है. वे देश के एजेंडे के बजाए पार्टी और राहुल गांधी के एजेंडे के प्रति अधिक चिंतित हैं.'
उन्होंने कहा कि टूलकिट विवाद में आईटी मंत्रालय से सफाई मांग रहे हैं जबकि ट्विटर की कार्रवाई देश के खिलाफ है. यह मामला जांच एजेंसियों के पास है और आईटी समिति न तो सरकार की कार्रवाई को प्रभावित कर सकती है और न ही सरकार के रोजमर्रा के काम को प्रभावित कर सकती है.
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बीजेपी सांसद ने कहा, 'थरूर अपनी पार्टी और विदेशों में बैठे गॉडफादर के कहने पर ट्विटर को सरकार के खिलाफ कार्रवाई में मदद कर रहे हैं. इस मामले में विदेशी रिश्तों की भी जांच होनी चाहिए. थरूर अपने हाल के ट्वीटस के जरिए जिम्मेदार व्यवहार की सारी सीमाओं को पार कर चुके हैं. यह एक तरह से दुश्मन देशों की मदद करना है. इसी कारण उनकी लोक सभा सदस्यता तुरंत खत्म कर दी जानी चाहिए.'