कृषि कानूनों को लेकर SC के आदेश पर BJP की ओर से आई प्रतिक्रिया, सुशील मोदी ने कही यह बात..

Farmers Protest: सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के आंदोलन से उत्पन्न स्थिति का समाधान खोजने के प्रयास में तीनों विवादास्पद कानूनों के अमल पर रोक लगाने के साथ ही किसानों की शंकाओं और शिकायतों पर विचार के लिये एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है.

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सुशील कुमार मोदी ने कहा, सभी पक्षों को सुप्रीम कोर्ट की पहला का सम्‍मान करना चाहिए (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

Farm Laws: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा तीनों कृषि कानूनों (Farm Laws)के अमल पर रोक लगाने के आदेश पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर से पहली प्रतिक्रिया आई है. बीजेपी नेता और राज्‍यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट करके कहा, 'नए कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाकर किसानों के मुद्दे पर बातचीत करने के लिए चार सदस्यीय समिति बनाने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.' एक अन्‍य ट्वीट में उन्‍होंने कहा, 'अब सभी पक्षों को सुप्रीम कोर्ट की पहल का सम्मान करना चाहिए और परस्पर विश्वास का माहौल बनाना चाहिए.'

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन से उत्पन्न स्थिति का समाधान खोजने के प्रयास में तीनों विवादास्पद कानूनों के अमल पर रोक लगाने के साथ ही किसानों की शंकाओं और शिकायतों पर विचार के लिये एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है.कोर्ट ने हरसिमरत मान, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, डॉ प्रमोद कुमार जोशी (पूर्व निदेशक राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन), अनिल धनवत के नाम कमेटी के सदस्य के तौर पर सुझाए हैं. बहरहाल, किसान नेताओं ने कहा है कि SC की तरफ से नियुक्त किसी भी समिति के समक्ष वे किसी भी कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेना चाहते.

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किसान नेता डॉ दर्शनपाल सिंह ने कहा कि आज हमने पंजाब किसान संगठनों के साथ बैठक की. कल हम पूरे संयुक्त किसान मोर्चे की बैठक करेंगे. कल हमने प्रेस नोट में बताया था कि अगर सुप्रीम कोर्ट कोई कमेटी बनाएगा तो हमें मंज़ूर नहीं है. हमें लगता है कि जो सरकार नहीं कर पाई, वो सुप्रीम कोर्ट के ज़रिए करा रही है. किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, 'हमें लगता है कि ये सरकार की शरारत है कि ये सुप्रीम कोर्ट के ज़रिए कमेटी ले आए. कमेटी के सारे सदस्य सरकार को सही ठहराते रहे हैं. ये लोग प्रेस में आर्टिकल लिखकर क़ानूनों को सही ठहराते रहे हैं. तो ऐसी कमेटी के सामने क्या बोलें. हमारा ये आंदोलन चलता रहेगा. कल को ये कमेटी के लोग बदल भी दें तो भी हम कमेटी के सामने नहीं जाएंगे. हमारा ये संघर्ष अनिश्चितकालीन है. हम शांतिपूर्ण तरीक़े से आंदोलन चलाते रहेंगे.'

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