- बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने महाराष्ट्र में जामिया इस्लामिया इशातुल उलूम पर कट्टरपंथ फैलाने का आरोप लगाया है
- आरोप है कि संगठन को विदेशों से 1100 करोड़ रुपये मिले हैं. देश की कई बेनामी संस्थाओं ने भी पैसा दिए हैं
- सौमेया ने इसे कट्टरता का मदरसा करार दिया और आरोप लगाया कि यहां बच्चों को कट्टर जिहादी बनाया जाता है
दिल्ली ब्लास्ट के बाद देश में आतंकी नेटवर्क की छानबीन के बीच बीजेपी नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने सवालों के घेरे में आई फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी की तरह का संगठन महाराष्ट्र में भी सक्रिय होने के आरोप लगाए हैं. NDTV से बातचीत में उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र के अक्कलकुवा के जामिया इस्लामिया इशातुल उलूम नाम के संगठन को विदेशों से 1100 करोड़ रुपये का डोनेशन मिला है. इसमें हजारों की संख्या में बांग्लादेश बॉर्डर के स्टूडेंट पढ़ते हैं, जिन्हें कट्टरपंथी बनाने की साजिश चल रही है.
किरीट सोमैया ने दावा किया कि जैसी अल फलाह यूनिवर्सिटी है, वैसा ही एक संगठन महाराष्ट्र के अक्कलकुवा में काम कर रहा है. इसे विदेश से 1100 करोड़ का डोनेशन मिला है. इसमें पढ़ने वाले 11 हजार 200 स्टूडेंट बांग्लादेश बॉर्डर से हैं. बीजेपी नेता ने आरोप लगाया कि इन्हें उलेमा बनाने के लिए फैक्ट्रियां लगाई गई हैं.
बीजेपी नेता सोमैया ने सवाल उठाया कि पश्चिम बंगाल के मालदा और बॉर्डर के अन्य इलाकों से स्टूडेंट्स यहां कैसे आते हैं? भारत सरकार इस बारे में जांच कर रही है. अब ED की कार्रवाई शुरू हो गई है. यहां क्या चल रहा है, इसकी जानकारी इकट्ठा की जा रही है.
उन्होंने कहा कि यह संगठन पुराना है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह तेज़ी से बढ़ा है. इसके पीछे मकसद आदिवासी जंगलों में संगठन बनाना और पैसे कमाकर उन्हें कहीं और भेजना है. उन्होंने जिहादी संगठनों को पैसे दिए जाने के भी आरोप लगाए. दावा किया कि ATS ने इसमें कार्रवाई भी शुरू कर दी है.
सोमैया ने आरोप लगाया कि 5-7 साल के बच्चों को यहां लाया जाता है और 20-22 साल का होने तक कट्टर जिहादी बना दिया जाता है और देश भर में उलेमा मौलवी बनाकर भेजा जाता है. यह कट्टरता का मदरसा है. उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्र में, आदिवासियों की जमीन हथिया कर जंगलों में इतनी बड़ी संस्था चलाने का मकसद क्या है.
उन्होंने दावा किया कि इस संगठन को मिडिल ईस्ट जैसे टैक्स हेवन से से पैसा मिल रहा है. इसके अलावा भारत की बोगस बेनामी संस्थाओं से भी पैसा लिया गया है. मैंने ऐसे 5 नाम सरकार को दिए हैं. इनकी जांच होनी चाहिए. ईडी ने संगठन से जुड़ी जगहों पर छापे मारे हैं. आदिवासियों की जमीन कब्जाने के आरोपों की महाराष्ट्र सरकार ने भी जांच शुरू करा दी है.
याद दिला दें 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए धमाके का आत्मघाती बम हमलावर डॉ. उमर उन नबी इसी अल फलाह यूनिवर्सिटी में मेडिसिन का प्रोफेसर था. इस व्हाइट कॉलर आतंकी गैंग में शामिल आरोपी डॉ. मुजम्मिल शकील भी इसी यूनिवर्सिटी में काम करता था. उसके फरीदाबाद में किराए के मकान से 2,900 किलो से अधिक विस्फोटक मिला था. ईडी ने अल फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक और चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को एक अलग मामले में गिरफ्तार किया है.













