राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने के बाद अब बीजेपी कोर्ट के इस फैसले को सही साबित करने के लिए देश भर में विशेष अभियान चलाने की तैयारी में है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने इस अभियान को लेकर सरकार के सभी ओबीसी मंत्रियों के साथ एक बैठक की. इस बैठक में इस योजना पर बात हुई कि किस तरह से ओबीसी समाज को इस बात से अवगत कराया जाए कि 2019 में राहुल गांधी ने अपने बयान से उनका अपमान किया था. इस बैठक में जिन मंत्रियों ने हिस्सा लिया उनमें खास तौर पर धर्मेंद्र प्रधान, किशनपाल गुर्जर, प्रहलाद पटेल और रामेश्वर तेली शामिल हैं.
वहीं, BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इससे पहले एक ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने लिखा कि ओबीसी समुदायों की चोरों से तुलना करके, राहुल गांधी ने एक दयनीय और जातिवादी मानसिकता दिखाई है. हालांकि, उनका ताजा बयान आश्चर्यजनक नहीं है.पिछले कई वर्षों से, उन्होंने हमेशा राजनीतिक प्रवचन के स्तर को कम किया है.
उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने के बाद विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने राष्ट्रपति भवन तक विरोध मार्च निकालने का प्रयास किया. सांसदों ने विजय चौक के पास से विरोध मार्च प्रारंभ किया. हालांकि, सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें आगे जाने की अनुमति नहीं दी. सांसदों के मार्च को राष्ट्रपति भवन पहुंचने से पहले रोकने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था.
विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने "लोकतंत्र खतरे में" का बैनकर लेकर अपना मार्च शुरू किया था. पुलिस ने उन्हें विजय चौक के पास ही हिरासत में ले लिया. पुलिस ने सांसदों को हिरासत में लेने के बाद एक बयान भी जारी किया. जिसमे कहा गया है कि सासंदों के पास राष्ट्रपति भवन तक मार्च निकालने के लिए अनुमति नहीं थी.
बता दें कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लोकसभा सदस्यता गंवानी पड़ी है. 'मोदी सरनेम' मामले में टिप्पणी को लेकर सूरत कोर्ट की ओर से दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद यह फैसला हुआ है. आर्टिकल 102(1)(e) के तहत यह फैसला किया गया है. सूरत कोर्ट के फैसले वाले दिन यानी 23 मार्च से राहुल गांधी की सदस्यता चली गई है.