कर्नाटक में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को विधायक दल के नेता के बिना विधानसभा सत्र में भाग लिया. इसको लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधा. मई में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथों हार के बाद भाजपा ने अभी तक विधायक दल का नेता नहीं चुना है. पार्टी के केंद्रीय नेता विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया और पार्टी के महासचिव विनोद तावड़े को नेता प्रतिपक्ष के चुनाव के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया है.
भाजपा सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय पर्यवेक्षकों के कल बेंगलुरु आने की उम्मीद है. पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई नेता प्रतिपक्ष के पद के दावेदारों में से एक हैं. भाजपा इस बात पर विचार कर रही है कि क्या उसे राज्य में जाति समीकरण को संतुलित करते हुए पुराने नेताओं को कायम रखना चाहिए या नए नेता पर भरोसा करना चाहिए. मई में हुए 224 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 135 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की जबकि भाजपा ने 66 और जनता दल (सेक्यूलर) ने 19 सीटें जीती थी.
पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा के साथ एक बैठक के बाद रविवार देर रात दिल्ली में पत्रकारों से कहा था कि ये पर्यवेक्षक भाजपा विधायकों की राय लेंगे और पार्टी आलाकमान को एक रिपोर्ट सौंपेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि पर्यवेक्षकों द्वारा ली गयी राय के आधार पर पार्टी विधायक दल के नेता का चयन करेगी जो विपक्ष का नेता होगा. भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के संबंध में येदियुरप्पा ने कहा कि पार्टी विधायकों की राय के आधार पर इस पर फैसला लिया जाएगा.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘कर्नाटक विधानसभा का बजट सत्र आज से शुरू हो गया. 1952 के बाद से पहली बार राज्य में मुख्य विपक्ष के बिना विधानसभा का सत्र शुरू हुआ.” कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के बिना विधानसभा सत्र में हिस्सा लेना दिखाता है कि भाजपा गुटबंदी की शिकार है. उन्होंने भाजपा को सबसे ‘‘ अनुशासनहीन'' पार्टी करार दिया.
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