बीजेपी ने उत्तराखंड में अपने दो नेताओं को हंसी का पात्र बना दिया : हरीश रावत

कांग्रेस के नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे पर कहा, दो भले आदमियों की हास्यास्पद स्थिति बना दी बीजेपी ने

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उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता हरीश रावत (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

कांग्रेस के नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि  बीजेपी ने अपने दो नेताओं की हास्यास्पद हालत बना दी. हरीश रावत ने ट्वीट किया है कि 2017 में सत्तारूढ़ हुई उत्तराखंड भाजपा ने अपने दो नेताओं की स्थिति हास्यास्पद बना दी है, दोनों भले आदमी हैं.त्रिवेंद्र सिंह रावत जी को बजट सत्र के बीच में बदलने का निर्णय ले लिया, जबकि वित्त विभाग भी उन्हीं के पास था. बजट पर चर्चा और बहस का जवाब उन्हीं को देना था. बजट उन्हीं को पारित करवाना था. 

हरीश रावत ने कहा है कि सब हबड़-तबड़ में बजट भी पास हुआ और त्रिवेन्द्र सिंह जी की विदाई भी हो गई और उतने भले ही आदमी तीरथ सिंह रावत जी मुख्यमंत्री बने और तीरथ सिंह जी की स्थिति कुछ उनके बयानों ने और जितनी रही-सही कसर थी, वो भाजपा के शीर्ष द्वारा उनके चुनाव लड़ने के प्रश्न पर निर्णय न लेने कारण हास्यास्पद बन गई, वो मजाक के पात्र बनकर रह गये. 

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उन्होंने कहा है कि लोग कह रहे हैं कि हमारे मुख्यमंत्री को जब इसी बात ज्ञान नहीं था कि उनको कब चुनाव लड़कर के विधानसभा पहुंचना है तो, ये व्यक्ति हमारा क्या कल्याण करेगा!

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उत्तराखंड में पैदा हुए संवैधानिक संकट के बीच मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने चार माह से भी कम समय तक पद पर रहने के बाद शुक्रवार देर रात राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया. देहरादून में राजभवन पहुंचकर अपना इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री रावत ने संवाददाताओं को बताया कि उनका इस्तीफा देने की मुख्य वजह संवैधानिक संकट था जिसमें निर्वाचन आयोग के लिए चुनाव कराना मुश्किल था. उन्होंने कहा, ‘‘संवैधानिक संकट की परिस्थितियों को देखते हुए मैंने अपना इस्तीफा देना उचित समझा.''

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रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अपने केंद्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने उन्हें उच्च पदों पर सेवा करने का मौका दिया. पौड़ी से लोकसभा सदस्य रावत ने इस वर्ष 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था और संवैधानिक बाध्यता के तहत उन्हें छह माह के भीतर यानी 10 सितंबर से पहले विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना था.

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लेकिन मुख्यमंत्री के विधानसभा पहुंचने में सबसे बड़ी अड़चन के रूप में यह संवैधानिक संकट आ गया कि जब विधानसभा चुनावों में एक साल से कम का समय बचा हो तो ऐसे में सामान्यत: उपचुनाव नहीं कराए जाते. वैसे भी कोविड महामारी के कारण भी फिलहाल चुनाव की परिस्थितियां नहीं बन पाईं.

यह पूछे जाने पर कि संवैधानिक संकट से बचने के लिए प्रदेश में अप्रैल में हुआ सल्ट उपचुनाव उन्होंने क्यों नही लड़ा, मुख्यमंत्री ने कहा कि उस समय वह कोविड से पीड़ित थे और इसलिए उन्हें इसके लिए समय नहीं मिला.

मुख्यमंत्री रावत के साथ मौजूद प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि नए नेता का चयन करने के लिए शनिवार को पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है. शनिवार को अपराह्न तीन बजे बुलाई गई इस बैठक की अध्यक्षता स्वयं प्रदेश अध्यक्ष कौशिक करेंगे. उन्होंने बताया कि पार्टी की ओर से सभी विधायकों को शनिवार की बैठक में उपस्थित रहने की सूचना दे दी गई है.

इससे पहले, अपने तीन दिन के दिल्ली दौरे से लौटे मुख्यमंत्री रावत राज्य सचिवालय पहुंचे और संवाददाताओं से मुखातिब हुए लेकिन उन्होंने अपने इस्तीफे के संबंध में कोई बात न करते हुए नई घोषणाएं कर सबको हैरानी में डाल दिया. उन्होंने कहा कि कोविड महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए परिवहन और पर्यटन आदि क्षेत्रों के लोगों को राहत देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं और उन्हें लगभग 2000 करोड़ रुपये की सहायता दी जाएगी.

इसके अलावा, उन्होंने कहा कि उनकी सरकार कोविड महामारी से प्रभावित युवाओं को रोजगार देने के लिए छह माह में 20,000 रिक्तियां भरेगी. उन्होंने कहा कि वह यह घोषणा पहले ही करना चाहते थे लेकिन तीन दिन दिल्ली में रहने के कारण अब कर रहे हैं.

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