सिसोदिया का आरोप- कृषि कानूनों पर समर्थन दिखाने के लिए BJP ने केजरीवाल का वीडियो Doctored किया

सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दरअसल, यह वीडियो अरविंद केजरीवाल के एक टीवी इंटरव्यू का डॉक्टर्ड वर्जन है. बीजेपी और उसके नेताओं ने एक फर्जी बयान बनाने की कोशिश की है.

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फाइल फोटो
नई दिल्ली:

नए कृषि कानूनों को लेकर दो महीने से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे किसानों का आम आदमी पार्टी ने खुले तौर पर समर्थन किया है. इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक वीडियो सामने आया है, जिसे लेकर बीजेपी और आप में घमासान शुरू हो गया है. दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को कहा कि बीजेपी और संबित पात्रा ने मुख्यमंत्री केजरीवाल का एक वीडियो जारी किया और दावा किया कि केजरीवाल तीनों कृषि बिलों का समर्थन कर रहे हैं और उनके फायदे गिना रहे हैं.

सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दरअसल, यह वीडियो अरविंद केजरीवाल के एक टीवी इंटरव्यू का डॉक्टर्ड वर्जन है. बीजेपी और उसके नेताओं ने एक फर्जी बयान बनाने की कोशिश की है. इंटरव्यू को एडिट करके एक ऐसी क्लिप बनाई, जिससे लगे कि अरविंद केजरीवाल तीनों कृषि बिलों का समर्थन कर रहे हैं. जानबूझकर लाइनें एडिट और डिलीट करके शब्दों को जोड़-तोड़ के बीजेपी ने डॉक्टर्ड वीडियो बनाया है. बीजेपी ने अपने टि्वटर हैंडल से और अपने प्रवक्ताओं के हैंडल से इसे ट्वीट करवाया. 

उन्होंने कहा कि मुझे भारतीय जनता पार्टी पर दया आई क्योंकि जिस पार्टी की पूरे देश में सरकार है और बड़े-बड़े राज्यों में सरकार हैं. जिस बीजेपी के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, वह पार्टी इतनी बेचारी हो गई कि उसको अपने कृषि कानूनों की विश्वसनीयता को स्थापित करने के लिए अरविंद केजरीवाल के बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश करना पड़ रहा है. 

सिसोदिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार कह रहे हैं कि यह कृषि कानून किसानों को फायदा पहुंचाएंगे, लेकिन देश की जनता और किसान मानने को तैयार नहीं है कि प्रधानमंत्री ने हमारे फायदे के लिए कोई काम किया, बल्कि उनको यह लग रहा है कि हमारे साथ विश्वासघात और धोखा हुआ है.

डिप्टी सीएम ने कहा कि बीजेपी देश और किसानों को यह नहीं समझा पाई है कि इन कृषि कानूनों से देश का या किसानों का हित होने वाला है. बीजेपी ने साजिश रची कि किसानों को गद्दार घोषित करो. कहीं उनको खालिस्तानी कहा गया, कहीं सरदारों को गद्दार कहा गया. जब किसी ने बीजेपी की बात नहीं मानी तब 26 जनवरी की साजिश रची गई. 26 जनवरी की सारी घटना को किसानों के ऊपर डालने की कोशिश की लेकिन जनता ने उसको भी स्वीकार नहीं किया.

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