असम के कैबिनेट मंत्री तथा पूर्वोत्तर भारत के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) के मुख्य रणनीतिकार हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि असम में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर उनकी पार्टी प्रतिबद्ध है, हालांकि यह राज्य में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दा नहीं है.
BJP ने अपने प्रचार अभियान की नींव विकास के मुद्दे को बनाया है, जिसके पूर्वोत्तर में ज़्यादा अहम होने की उम्मीद है, क्योंकि दशकों से पूर्वोत्तर का मानना रहा है कि शेष भारत उसे अलग-थलग मानता है.
NDTV को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में हिमंत बिस्व सरमा ने कहा, "हम CAA के प्रति कटिबद्ध हैं, हालांकि यह असम में चुनावी मुद्दा नहीं है..."
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है, जहां-जहां CAA के बारे में सवाल किया गया, हमने जवाब दिया है... लेकिन COVID के बाद लोग ऐसा कुछ सुनना नहीं चाहते, जिससे सड़कों पर प्रदर्शन हों, भले ही समर्थन में या विरोध में... लोगों के दिमाग में CAA या उस पर होने वाली किसी बहस के लिए कोई जगह नहीं है..."
हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि BJP उन्हीं मुद्दों पर लोगों को संबोधित करती है, 'जो वे सुनना चाहते हैं...' उनका कहना था कि BJP ऐसा इसलिए करती है, क्योंकि पार्टी के राष्ट्रीय प्रसार के अगले चरण के लिए असम में सत्ता में बने रहना अहम है. सो, पार्टी का एजेंडा विकास पर केंद्रित है.
लेकिन BJP के राजनैतिक प्रतिद्वंद्वियों - असम में कांग्रेस तथा पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC) की मुखिया व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी - ने इस विवादास्पद कानून को मुख्य चुनावी मुद्दा बना दिया है.
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के महासचिव तथा असम के प्रभारी जितेंद्र सिंह ने कहा, "असम में BJP ही बांटने की राजनीति खेल रही है... वे सभ्यता की राजनीति की बात करते हैं, जबकि वे खुद ही असम की पहचान के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में सामने आए हैं..."
पश्चिम बंगाल में BJP पर करारा हमला बोलते हुए ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा, "वे (BJP) भी CAA, NRC का मुद्दा उठा रहे हैं... क्या मैं अपनी मां का जन्म प्रमाणपत्र दे सकती हूं...? मैं नहीं दे सकती... जो नहीं दे सकते, उन्हें बांग्लादेश में धकेल दिया जाएगा..."
भारत में पहली बार CAA के तहत धर्म को भारतीय नागरिकता का आधार बना दिया गया है. सरकार का कहना है, इससे तीन मुस्लिम-बहुल पड़ोसी देशों से आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को मदद मिलेगी, जो धार्मिक प्रताड़ना की वजह से भारत में घुस आए हैं.
आलोचकों का कहना है कि यह कानून मुस्लिमों से भेदभाव करता है, और भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का उल्लंघन करना है.
कोरोना की वजह से सब कुछ ठप हो जाने से पहले CAA, NRC तथा NPR की वजह से देशभर में विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया था.