महाराष्ट्र (Maharashtra Palghar District Council Election) के पालघर में होने वाले जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव में बीजेपी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (BJP MNS alliance) के बीच सहमति बनी है. ऐसे में माना जा रहा है कि महाराष्ट्र की सियासत में बीजेपी और एमएनएस के बीच कुछ न कुछ खिचड़ी पक रही है. महाराष्ट्र में बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल और एमएनएस सुप्रीमो राज ठाकरे (Raj Thackrey) के बीच भी 6 अगस्त को मुलाकात हुई थी, जिसे शिष्टाचार मुलाकात का नाम दिया गया था, लेकिन अब पालघर के चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच बने गठजोड़ ने सियासी अटकलों को बल दिया है.
राज ठाकरे को उद्धव का जवाब, हमने हिंदुत्व नहीं छोड़ा, हमारा रंग और मन भी भगवा
एमएनएस के महासचिव और प्रवक्ता वागीश सारस्वत ने इसे शुभ संकेत बताया है. उनका कहना है कि अगर कोई पॉजिटिव पार्टी नजर आ रही थी, वो बीजेपी थी. उनका कहना है कि एमएनएस सुप्रीमो ने पार्टी के हर नेता का विचार सुना और फिर इस चुनाव में गठबंधन पर सहमति दी. हालांकि महाराष्ट्र बीजेपी के बड़े नेता महाराष्ट्र में एमएनएस के साथ व्यापक स्तर पर गठबंधन को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं.
हालांकि बीजेपी सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री कपिल पाटिल का कहना है कि पालघर में बीजेपी की उम्मीदवार को जिताने के लिए हर्ज नहीं है. शिवसेना का साथ छूटने के बाद से ही बीजेपी उसे पटखनी देने की कोशिश में जुटी है. मुंबई, ठाणे, पुणे जैसे इलाकों में एमएनएस का अच्छा खासा प्रभाव है और बीजेपी को इसका फायदा मिल सकता है. लेकिन एमएनएस की उत्तर भारतीयों के विरोधी पार्टी वाली छवि गठबंधन की राह में रोड़ा बनी हुई है.
विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर भारतीयों के खिलाफ एमएनएस ने जो मुहिम चलाई थी, क्या वो महाराष्ट्र या बिहार की जनता भूल गई है. यूपी में कुछ महीनों बाद दोबारा चुनाव में उतरने जा रही बीजेपी भी इस खतरे को महसूस करती है. यही वजह है कि वो स्थानीय स्तर पर एमएनएस के साथ चुनावी गठबंधन कर इसके नफा-नुकसान को तोल रही है.
लेकिन अगर यह प्रयोग सफल रहा तो महाराष्ट्र की राजनीति बदल सकती है. शिवसेना (Shivsena) के मराठी कोर वोटर को तोड़ने के लिए एमएनएस बीजेपी के लिए बड़ा हथियार साबित हो सकती है. हालांकि महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (Maharashtra Vikas Aghadi) गठबंधन अगले विधानसभा चुनाव को लेकर अभी अपना रुख साफ नहीं किया है.