बिहारः ‘ओवैरियन रिजुवनेशन थेरेपी’ से 8 साल बाद महिला बनी मां

महिला और उसके पति पिछले आठ वर्षों से माता-पिता बनने की कोशिश कर रहे थे और जब अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (इंट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन) जैसी सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी सहित सभी विकल्प विफल हो गए, तो उनका दिल टूट गया.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
महिला कम उपयोग में लाई गई उपचार पद्धति से मां बनी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

अंडाणु के कम संख्या में होने की समस्या का सामना कर रही 32 वर्षीय एक महिला अपेक्षाकृत कम उपयोग में लाई गई उपचार की पद्धति से मां बनी है. एक निजी संस्था ने यहां यह जानकारी दी. संस्था ने बताया कि इससे पहले महिला सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (एआरटी) के जरिए गर्भधारण करने की कई बार नाकाम कोशिश कर चुकी थी.

सीड्स ऑफ इनोसेंस की निदेशक एवं सह संस्थापक डॉ गौरी अग्रवाल ने कहा कि आज के समय में युवतियों में अंडाणुओं की कम संख्या होना एक आम समस्या है और यहां आने वाली हर पांचवीं महिला में यह समस्या है. उन्होंने कहा कि यहां तक कि 27 साल की युवतियां भी गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं.

संस्था ने एक बयान में बताया कि पटना की महिला और उसके पति पिछले आठ वर्षों से माता-पिता बनने की कोशिश कर रहे थे और जब अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (इंट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन) जैसी सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी सहित सभी विकल्प विफल हो गए, तो उनका दिल टूट गया.

संस्था ने एक बयान में कहा कि चिकित्सक ने ‘ओवैरियन रिजुवनेशन थेरेपी' का इस्तेमाल किया, जो कि कम उपयोग की गई प्रौद्योगिकी है. बयान में कहा गया है कि इस पद्धति से इलाज के बाद महिला ने इस महीने की शुरूआत में एक बच्ची को जन्म दिया.

यह भी पढ़ेंः

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Election Commission PC: 'न पक्ष-न विपक्ष, सभी दल समकक्ष..' CEC ने बताया Bihar में क्यों हो रहा SIR?
Topics mentioned in this article