तेजस्वी करेंगे सबसे बड़ा 'बेरोजगार रैला', लालू यादव ने 26 साल पहले की थी पहली 'गरीब रैली'; दिए थे ऐसे-ऐसे नारे

लालू ने रैली को गरीब नाम देकर समाज के गरीब तबके को यह संदेश देने की कोशिश की थी कि वही उनके हितैषी हैं. इसके अगले ही साल 1996 में उन्होंने रैली की जगह रैला शब्द का इस्तेमाल करते हुए 'गरीब रैला' का आयोजन किया था. लालू ने तभी सबसे पहले रैला शब्द का इस्तेमाल अपने कोर वोटरों को जोड़ने के लिए और अधिक से अधिक संख्या में उनके पटना पहुंचने के लिए किया था.

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तेजस्वी यादव ने बेरोजगार रैला आयोजित करने का ऐलान किया है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

बिहार विधान सभा (Bihar Assembly) में नेता विपक्ष और राजद नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने राज्य में दो सीटों पर होने वाले उप चुनाव से पहले ये ऐलान किया है कि वो जल्द ही बिहार में देश का सबसे बड़ा 'बेरोजगार रैला' करने जा रहे हैं. उन्होंने खुद ट्विटर पर लिखकर इसका ऐलान किया है. उन्होंने लिखा है, "जल्दी ही बिहार में करेंगे देश का सबसे बड़ा “बेरोजगार रैला”

उनके नेतृत्व में यह पहली बड़ी रैली होगी. तेजस्वी बेरोजगारी का मुद्दा उठाकर सर्वसमाज के युवाओं के बीच अपनी पैठ गहरी करना चाहते हैं. इसके साथ ही वो इस मुद्दे के जरिए राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दोनों पर एक तीर से एकसाथ निशाना साधना चाहते हैं. पीएम मोदी ने 2014 के चुनाव में ही हर साल दो करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किया था जबकि नीतीश ने पिछले विधान सभा चुनाव में 19 लाख नौकरियों का वादा किया था, जो अब तक सच नहीं हो सका है.

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उनके पिता लालू यादव 1990 के दशक से ही ऐसी रैलियां और रैला करते आ रहे हैं. 1995 में अपनी सरकार के पांच साल पूरे होने पर लालू यादव ने सबसे पहले गरीब रैली की थी और समाज के गरीब तबके तक अपनी पहुंच बनाई थी. लालू ने रैली को गरीब नाम देकर समाज के गरीब तबके को यह संदेश देने की कोशिश की थी कि वही उनके हितैषी हैं.

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इसके अगले ही साल 1996 में उन्होंने रैली की जगह रैला शब्द का इस्तेमाल करते हुए 'गरीब रैला' का आयोजन किया था. लालू ने तभी सबसे पहले रैला शब्द का इस्तेमाल अपने कोर वोटरों को जोड़ने के लिए और अधिक से अधिक संख्या में उनके पटना पहुंचने के लिए किया था.

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इसके बाद लालू ने 1997 में 'महागरीब रैला', 2003 में 'लाठी रैली', 2007 में 'चेतावनी रैली', 2012 में 'परिवर्तन रैली' और 2017 में 'भाजपा भगाओ, देश बचाओ रैली' की थी.

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1995 में लालू यादव ने जो पहली रैली की थी, उसमें  किस्म-किस्म के नारे लगाए गए थे ताकि समाज के वंचित वर्ग तक उनका संवाद हो और उनके बीच  पैठ बनाई जा सके. उनमें से कुछ इस तरह हैं-

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  • 'लालू यादव फकीर है, गरीबों की तकदीर है'
  • 'लालू की है ये ललकार, दिल्ली में हो गरीबों की सरकार'
  • 'हंस कर लिया है पटना को, लड़कर लेंगे दिल्ली को'
  • 'दिल्ली की गद्दी पर बिहार की शान, सभी पिछड़ों और दलितों का यही अरमान'
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