प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की दूसरी सरकार का पहला मंत्रिपरिषद का विस्तार किया गया है. इसके लिए कई दिनों से सियासी चर्चाएं तेज थीं. बिहार से भी मंत्री बनने वालों में कई नाम उछल रहे थे. बिहार बीजेपी से पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के नाम की बड़ी चर्चा थी लेकिन उन्हें मायूसी हाथ लगी है.
उधर बीजेपी की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (JDU) भी सांकेतिक नहीं बल्कि सांसदों की संख्या के अनुसार आनुपातिक प्रतिनिधित्व के तहत चार सीटों की मांग कर रही थी लेकिन जब 43 मंत्रियों की लिस्ट सामने आई तो उसमें जेडीयू कोटे से सिर्फ पार्टी अध्यक्ष रामचंद्र प्रसाद सिंह (आरसीपी सिंह) का ही नाम दिखा. पीएम आवास से उन्हें पहले ही फोन जा चुका था. उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है और पाचवें नंबर पर उन्होंने शपथ ली है.
बिहार से दूसरे मंत्री बनने वालों में लोजपा (पारस गुट) के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस हैं. इनकी नियुक्ति पर पारस के भतीजे और लोजपा नेता चिराग पासवान ने आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा है, "पार्टी विरोधी और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के कारण लोक जनशक्ति पार्टी से पशुपति कुमार पारस जी को पहले ही पार्टी से निष्काषित किया जा चुका है और अब उन्हें केंद्रीय मंत्री मंडल में शामिल करने पर पार्टी कड़ा ऐतराज दर्ज कराती है."
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चिराग पासवान खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताते रहे हैं लेकिन उनके विरोध के बावजूद पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्री बनाया गया. उन्हें सातवें नंबर पर कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई. ऐसे में सियासी हलकों में ये चर्चा है कि क्या पशुपति कुमार पारस भी जेडीयू कोटे से ही मंत्री तो नहीं बनाए गए क्योंकि अचानक पार्टी नेता नीतीश कुमार के स्वर बदल चुके हैं. एक दिन पहले ही नीतीश ने कहा था कि मंत्रिमंडल विस्तार पर फैसला करना पीएम मोदी का विशेषाधिकार है.
उधर, बीजेपी कोटे से बड़े रविशंकर प्रसाद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनके पास दो बड़े मंत्रालय (कानून और आईटी विभाग) थे. हालांकि, आरा से बीजेपी सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री आरके सिंह का प्रमोशन होने जा रहा है.