बिहार के ग्रामीण इलाक़े में पिछले एक महीने में कोरोना से कितनी मौतें हुई हैं इसका आंकड़ा अब पटना हाईकोर्ट के आदेश पर जमा किया जा रहा है. लेकिन जहाँ नीतीश सरकार अब हर दिन पॉज़िटिव मामले में कमी का दावा करती हैं वहीं, ग्रामीण इलाक़े में क्या हालात हैं, इसका जायज़ा लिया एनडीटीवी के संवाददाता मनीष कुमार ने. ग्रामीण शिव मंगल सिंह का कहना है कि इलाज कराने तो ले ही गये लेकिन इलाज कराने में ठीक नहीं हुआ. ऑक्सीजन का सिलेंडर एक लाख छह हज़ार में दो ख़रीदना पड़ा. इतना दुर्दशा हुआ.
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अपने भाई की मौत की कहानी बयान करते वैशाली ज़िले के घोसबर गाँव के शिवमंगल सिंह ने कहा कि इन्होंने अपने 65 वर्षीय भाई को तेरह दिन पहले खो दिया. श्राद्ध के दौरान इनका व्यवस्था के प्रति आक्रोश छिप ना सका. इस गाँव में एक महीने में सत्रह लोगों की मौत हुई जिसमें सूर्यदेव चौधरी ने भी अपना 36 साल के भाई को खोया. इनका कहना हैं कि गाँव में रहने के कारण कुछ भी समय से ना हो सका.
सूर्यदेव चौधरी की कहना है कि इलाज में कभी सही से जाँच नहीं हो पाया , समय से जाँच नहीं हो सका. पता नहीं चला इसलिए इलाज में लेट हुआ.अभी भी स्थिति गड़बड़ हैं लेकिन पहले से सुधार हैं .
गाँव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं और मौत की ख़बर और पॉज़िटिव मरीज़ों की संख्या में वृद्धि के बाद लोग वैक्सीन लगाने के लिए जुटते तो हैं लेकिन वैक्सीन के अभाव में इसे बंद रखा गया हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को घर-घर जाँच के लिए एक नया ऐप लाँच किया जिससे घर में बीमार लोगों के बारे में अब पता चल जाये, लेकिन जिनके घर में लोगों की कोरोना से मौत हुई हैं उनकी सुन लीजिए...
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शिवमंगल सिंह कहते हैं कि भारत कहता है विश्व गुरु बनने जा रहा हैं ये गुरु हैं जिसके पास ना ऑक्सिजन हनहीं बेड नहीं जिसके पास स्वास्थ्य सुविधा नहीं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)