भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की मंजूरी मिलने के बाद बिहार सरकार ने वैशाली जिले में चीनी यात्री ह्वेनसांग द्वारा भ्रमण किये गए बौद्ध स्थलों की खोज और बांका में 2,600 साल पुरानी संरचनाओं के अवशेषों की खुदाई के लिए तैयारी शुरू कर दी है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने हाल ही में राज्य के कला, संस्कृति और युवा विभाग की एक शाखा ‘बिहार हेरिटेज डेवलपमेंट सोसाइटी' (बीएचडीएस) को इन इन स्थानों पर काम करने की अनुमति दे दी है. यह खुदाई बांका जिले में चंदन नदी के पास हिंदू पौराणिक कथाओं और बौद्ध धर्म से जुड़े भदरिया गांव में की जाएगी.
राज्य के कला, संस्कृति और युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बम्हरा ने कहा, 'यह स्थापित हो चुका है कि भदरिया एक ऐतिहासिक स्थान है. प्रारंभिक अध्ययन के अनुसार, वहां पाए गए अवशेष 2,600 साल पुराने हैं.' उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि बांका और आसपास के क्षेत्रों में पृथ्वी के नीचे दबी प्राचीन संरचनाओं का पता लगाने के लिए ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण पहले ही किया जा चुका है. जीपीआर सर्वेक्षण एक भूभौतिकीय विधि है जो उपसतह की छवि लेने के लिए ‘रडार पल्स' का उपयोग करती है.
बम्हरा ने कहा, 'आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों की एक टीम ने भदरिया गांव में सर्वेक्षण किया, जहां जमीन के नीचे (चंदन नदी के तल और तट दोनों पर) प्राचीन युग की ईंट की बनी संरचनाएं पाई गईं.' बांका की मंदार पहाड़ी का हिंदू पौराणिक कथाओं में कई संदर्भ हैं. प्राचीन बौद्ध साहित्य में भदरिया का उल्लेख एक ऐसे स्थान के रूप में किया गया है जहां भगवान बुद्ध स्वयं पहुंचे थे और उनकी एक प्रमुख शिष्या विशाखा उस गांव में रुकी थीं.
बीएचडीएस के कार्यकारी निदेशक विजय कुमार चौधरी ने कहा, 'पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस पहाड़ी का उपयोग समुद्र मंथन के लिए किया गया था ताकि उससे अमृत निकाला जा सके.' मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिसंबर 2020 में इस स्थल का दौरा किया था. वैशाली में 1,000 साल पहले ह्वेनसांग द्वारा दौरा किए गए स्थानों पर बीएचडीएस अन्वेषण कार्य शुरू करेगा.
ह्वेनसांग, जिसे जुआनज़ांग के नाम से भी जाना जाता है, एक चीनी विद्वान थे जिन्होंने राजा हर्ष वर्धन के शासनकाल के दौरान बौद्ध धर्मग्रंथ प्राप्त करने के लिए 629 और 645 ईस्वी के बीच भारत में विभिन्न स्थानों की यात्रा की थी. चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, 'जुआनजांग के यात्रा वृत्तांत ने 1860 और 1870 के दशक में सर अलेक्जेंडर कनिंघम को नालंदा और वैशाली जैसे प्रसिद्ध स्थलों की पहचान करने में मदद की.'
कनिंघम एक ब्रिटिश सेना अधिकारी और पुरातत्वविद् थे ,जिन्होंने एएसआई के पहले निदेशक के रूप में भी काम किया था.चौधरी ने कहा, 'अब एएसआई से अनुमति मिलने के बाद बीएचडीएस ने इस महीने वैशाली में ह्वेनसांग द्वारा भ्रमण किये गए बौद्ध तीर्थ स्थलों की खोज के लिए प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया है.' बीएचडीएस पहले ही दक्षिण बिहार में ह्वेनसांग द्वारा भ्रमण किये गए कई स्थलों का पता लगा चुका है. बम्हरा ने कहा कि ह्वेनसांग ने कई साल नालंदा और वैशाली में बिताए थे.