बिहार के बाद अब बंगाल की बारी, ममता मैजिक तोड़ने के लिए BJP बना रही खास रणनीति- इनसाइड स्टोरी

बीजेपी ने बंगाल में चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव और आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय को सौंपी है. वहीं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल पिछले तीन वर्षों से राज्य में पार्टी संगठन को मजबूत करने में लगे हैं.

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  • बिहार में एनडीए की जीत के बाद बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में सत्ता हासिल करने के लिए रणनीति बनाना शुरू किया है
  • पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए बीजेपी ने संगठन मजबूत करने और पीएम मोदी के नाम पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है
  • बीजेपी ने चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, बिप्लब देव और अमित मालवीय को सौंपी है
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नई दिल्ली:

बिहार में एनडीए की ऐतिहासिक जीत के बाद अब बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में सत्ता में आने के लिए रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. इसके लिए बीजेपी ने अपने ताकतवर नेताओं को झोंकने का फैसला किया है. बिहार की जीत के बाद पार्टी मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं को अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा था कि गंगाजी बिहार से होकर बंगाल तक जाती है. बंगाल में जीत बीजेपी का एक बड़ा सपना है. गृह मंत्री अमित शाह ने बतौर बीजेपी अध्यक्ष कहा था कि बीजेपी का उत्कर्ष तब होगा, जब वह पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में अपना मुख्यमंत्री बनाएगी.

संगठन

बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में मार्च अंत या अप्रैल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी संगठन को मजबूत करने की दिशा में काम शुरू किया है. पार्टी ने फिलहाल बिना किसी चेहरे के सामूहिक नेतृत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और काम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. बीजेपी का जोर अपने संगठन को मजबूत करने पर है. राज्य के 91 हजार बूथों में से बीजेपी अभी करीब 70 हजार बूथों पर बूथ समितियों का गठन कर चुकी है. आगे की गतिविधियों के लिए चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे स्पेशल इंटेसिव रिवीजन यानी एसआईआर के पूरे होने का इंतजार किया जा रहा है.

एसआईआर

माना जा रहा है कि बिहार की ही तरह पश्चिम बंगाल में भी एसआईआर के बाद मतदाता सूचियों का शुद्धिकरण होगा और बड़ी संख्या में मृत मतदाताओं के नामों को हटाया जाएगा. एक बीजेपी नेता के अनुसार लेफ्ट पार्टियां साइंटिफिक रिगिंग कर राज्य में चुनाव जीतती थीं जिसमें मृतक मतदाताओं के नाम मतदाता सूचियों में शामिल रख उनके नाम पर अपने कार्यकर्ताओं से वोट कराना शामिल था, लेकिन अब एसआईआर के बाद इसमें बड़े पैमाने पर कमी आने की संभावना है.

चुनाव प्रबंधन

इसके बाद बीजेपी अपने बूथ स्तर के अभियान को आगे बढ़ाएगी. पार्टी ने चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव और आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय को सौंपी है. जबकि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल पिछले तीन वर्षों से राज्य में पार्टी संगठन को मजबूत करने में लगे हैं.

इसके लिए एक बड़ा कदम राज्य बीजेपी नेताओं के आपसी मतभेद दूर करना और राज्य ईकाई में अनुशासन कायम करना शामिल है. राज्य नेताओं को बेवजह की बयानबाजी से बचने को कहा गया है. उनसे कहा गया है कि वे टीएमसी के जाल में न उलझें और अपना नैरिटेव बनाएं ताकि राज्य की जनता को साथ लिया जा सके. एकजुटता का संदेश देने के लिए राज्य के अलग-अलग इलाकों से यात्राएं निकालने पर विचार हो रहा है, जिनकी अगुवाई प्रदेश के वरिष्ठ बीजेपी नेता करेंगे.

महिला सम्मान

एक वरिष्ठ बीजेपी नेता के अनुसार इस विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा महिला सुरक्षा होगा. महिला मुख्यमंत्री होने के बावजूद आए दिन महिलाओं पर अत्याचार, आरजी कर कांड और दुर्गापुर में मेडिकल छात्रा का गैंगरेप और ध्वस्त क़ानून व्यवस्था को बड़ा मुद्दा बनाया जाएगा. बीजेपी के नेताओं के अनुसार जनता राज्य की बिगड़ी कानून व्यवस्था से इस कदर तंग आ चुकी है कि उन्हें लगने लगा है कि टीएमसी सरकार का जाना जरूरी है. इसीलिए जनता से कहा जाएगा कि जीना है तो बीजेपी को वोट दो, सम्मान से रहना है तो बीजेपी को वोट दो.

रोजगार

इसी तरह रोजगार भी एक बड़ा मुद्दा रहेगा. राज्य में औद्योगिककरण का अभाव, पलायन और ख़स्ता अर्थव्यवस्था भी बड़े मुद्दे बनाए जाएंगे. राज्य की महिलाओं को टीएमसी सरकार की ओर से दी जाने वाली लक्ष्मी भंडार योजना पर सवाल उठाए जा रहे हैं. बीजेपी शासित राज्यों में महिलाओं को इसी तरह दी जाने वाले अधिक आर्थिक मदद का उदाहरण दिया जाएगा. बिहार में एनडीए की ओर से महिला रोजगार के लिए डेढ़ करोड़ महिलाओं को दस हजार रुपए देने का उदाहरण बढ़-चढ़कर पेश किया जाएगा.

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वंशवाद और भ्रष्टाचार

साथ ही, वंशवाद और भ्रष्टाचार को लेकर भी टीएमसी सरकार पर निशाना साधने का फैसला किया गया है. बीजेपी कथित मुस्लिम तुष्टीकरण को लेकर भी टीएमसी को घेरने की रणनीति पर काम कर रही है. बीजेपी नेताओं के अनुसार राज्य की 120 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जो पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी ने कभी न कभी जीती हैं. अब पार्टी की रणनीति इन सीटों के अलावा अन्य 40-50 सीटों पर पूरी ताकत लगाने की है, ताकि 160 सीटों का लक्ष्य हासिल किया जा सके.

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