- बिहार में एनडीए के घटक दल जीतन राम मांझी और चिराग पासवान के बीच सीट शेयरिंग को लेकर कड़ी टक्कर चल रही है
- लोक जनशक्ति पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान 36 से 40 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि मांझी 15 सीटों पर अड़े हुए हैं
- मांझी का दावा है कि पिछली बार उनकी पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया था इसलिए 15 सीटें मिलनी चाहिए
बिहार में चुनाव से पहले एनडीए में जीतन राम मांझी और चिराग पासवान के बीच एक कंपीटिशन देखने को मिल रहा है. दोनों ही ज्यादा से ज्यादा सीट हासिल करने के लिए दबाव की पॉलिटिक्स कर रहे हैं. बिहार चुनाव को लेकर एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर उठापटक जारी है. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान 36 से 40 सीटों की मांग कर रहे हैं. वहीं, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कह रहे हैं कि हम अपमान का घूंट कब तक पीते रहेंगे? हम अपने हक की मांग कर रहे हैं. जीतन राम मांझी का सपना 'हम' को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाना है. इसलिए वह 15 सीटों की मांग कर रहे हैं.
पिछले चुनाव में मांझी का स्ट्राइक रेट
बिहार के पिछले विधानसभा चुनाव पर नजर डालें, तो जीतन राम मांझी का दावा कुछ ज्यादा वजनदार नजर आता है. मांझी की पार्टी ने पिछले चुनाव में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था. इस बार भी मांझी कुछ ऐसे ही करिश्मे का दावा कर रहे हैं. मांझी 15 सीटों पर अड़े हैं. उनके मुताबिक 8 सात-आठ विधायक जीत जाएं, तो राज्य पार्टी का दर्जा मिल जाएगा. उन्हें यह अपमानजनक लगता है कि चार विधायक, एक पार्षद व सांसद होने के बावजूद उन्हें चुनाव आयोग की बैठकों में नहीं बुलाया जाता है. मांझी ने कहा कि जिनके पास एक विधायक भी नहीं है, वे ज्यादा विधानसभा सीटों की मांग कर रहे हैं. यह चिराग पर तंज था.
मांझी बोले- ऐसे में चुनाव लड़ने से क्या फायदा?
मांझी ने कहा, 'मैं सिर्फ अपना हक मांग रहा हूं. सीट शेयरिंग को लेकर हम लोग एनडीए के नेताओं से आग्रह कर रहे हैं. जिसके पास एक-दो विधायक हैं, वह खुद को बड़ा मानता है. हम अपमान का घूंट कब तक पीते रहेंगे? उन्होंने कहा कि एनडीए अगर हमें बल देगा तो हम उसे ही मजबूत करेंगे. हम लोग हर वक्त एनडीए के साथ रहते हैं, एनडीए का भी फर्ज बनता है कि हमें अपमानित नहीं होने दें. केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में हमें सात सीटें मिली थीं, जिनमें से चार पर चुनाव जीते थे. आज हम यही कह रहे हैं कि 60 प्रतिशत स्कोरिंग सीट लाएं, तो आठ सीट जीतकर आएं. इसलिए हम 15 सीट मांग रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर हमारी पार्टी मान्यता प्राप्त नहीं होगी, ऐसे में चुनाव लड़ने से क्या फायदा?'
चिराग की प्रेशर पॉलिटिक्स जारी... लेकिन पिछले चुनाव में था बुरा हाल
चिराग पासवान शुरुआत से प्रेशर पॉलिटिक्स का दांव चल खेल रहे हैं. आज भी उन्होंने एलजेपी की इमरजेंसी बैठक बुलाई है. हालांकि, वह खुद दिल्ली आ रहे हैं. फिर ये कैसी इमरजेंसी बैठक हैं, जिसमें पार्टी अध्यक्ष ही शामिल नहीं हो रहे हैं? चिराग ने इससे पहले कहा था कि वह बिहार में सभी 243 सीटों पर लड़ सकते हैं. इसके बाद उन्होंने कहा कि वह खुद भी बिहार चुनाव के दंगल में उतर सकते हैं. हालांकि, इस बीच वह यह भी कहते रहे हैं कि एनडीए के साथ ही रहेंगे. जानकारी के अनुसार, चिराग पासवान 36 से 40 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि उन्हें 20 से 22 सीटों का प्रस्ताव दिया गया है. बताया जा रहा है कि चिराग अपनी मांग पर अडिग हैं. पिछली विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी एनडीए का हिस्सा नहीं थी. उस समय उन्होंने 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से केवल एक सीट पर ही पार्टी को जीत मिली थी, जबकि 110 सीटों पर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी.
मांझी या चिराग कौन जीतेगा कंपीटिशन?
एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर रणनीति लगभग तय हो चुकी है. आलाकमान ने तय कर दिया है कि कुछ घटक दल को कितनी सीटें देनी हैं. चिराग और मांझी जितनी सीटें मांग रहे हैं, उतनी उन्हें मिलें , ये तो संभव नहीं है. लेकिन ये देखना दिलचस्प होगा कि आखिर मांझी या चिराग में कौन कंपीटिशन जीतेगा? हालांकि, दावा
मांझी का ज्यादा वजनदार है.