कौन हैं पूर्व IPS आरके मिश्रा, जिन्हें PK ने दिया दरभंगा से टिकट, भागलपुर दंगे के वक्त दिखाई थी जांबाजी

आर.के. मिश्रा का जन सुराज पार्टी से जुड़ाव इसके शुरुआती दिनों से ही रहा है, जिससे उनकी उम्मीदवारी को प्रशांत किशोर के 'बदलाव की राजनीति' के चेहरे के रूप में देखा जा रहा है.

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  • बिहार चुनाव के पहले चरण के लिए जन सुराज पार्टी ने 51 उम्मीदवारों की सूची जारी की.
  • पूर्व भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी आर.के. मिश्रा को दरभंगा से जन सुराज पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया है.
  • आर.के. मिश्रा ने भागलपुर दंगों को नियंत्रित करने में निर्णायक भूमिका निभाई थी.
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पटना:

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर तारीखों का ऐलान हो गया है. राजनीतिक गहमागहमी के बीच प्रशांत किशोर की अगुवाई वाली जन सुराज पार्टी ने पहले चरण के लिए अपने 51 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. इस सूची की सबसे खास बात यह है कि इसमें प्रोफेशनल्स को प्राथमिकता दी गई है, जिसमें वकील, डॉक्टर और प्रशासनिक क्षेत्र से जुड़े कई चेहरे शामिल हैं. जन सुराज के उम्मीदवारों की इस पहली सूची में जिन नामों ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी हैं, उनमें पूर्व भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी आर.के. मिश्रा का नाम प्रमुख है. आर.के. मिश्रा को दरभंगा से पार्टी का टिकट दिया गया है.

सख्त कार्यशैली के लिए मशहूर 

आर.के. मिश्रा पुलिस प्रशासन में दशकों का अनुभव रखते हैं और अपनी सख्त कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने बाद में बिहार पुलिस के होमगार्ड DGP के रूप में भी कार्यभार संभाला था. प्रशासनिक और पुलिसिंग में अपने लंबे करियर के अलावा मिश्रा को 1989 के भागलपुर दंगों को नियंत्रित करने में उनकी निर्णायक भूमिका के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है.

भागलपुर दंगे को रोकने में निभाई थी बड़ी भूमिका

आर.के. मिश्रा का नाम भागलपुर दंगों के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह सांप्रदायिक दंगा लगभग दो महीने तक चला था, जिसके दौरान भीड़ ने 250 से अधिक गांवों में आग लगा दी थी और पूर्वी जिले में सामूहिक नरसंहार किया गया था. आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, इन दंगों में लगभग 1,000 लोगों की मृत्यु हुई थी, हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक थी. ऐसे विकट समय में मिश्रा ने दंगा को रोकने के लिए निर्णायक भूमिका निभाई थी.

आर.के. मिश्रा का जन सुराज पार्टी से जुड़ाव इसके शुरुआती दिनों से ही रहा है, जिससे उनकी उम्मीदवारी को प्रशांत किशोर के 'बदलाव की राजनीति' के चेहरे के रूप में देखा जा रहा है.

जन सुराज की नई रणनीति

जन सुराज पार्टी की यह 51 उम्मीदवारों की सूची बिहार की चुनावी राजनीति में एक नया समीकरण पेश कर रही है. प्रशांत किशोर लगातार कहते रहे हैं कि बिहार को जाति और वंशवाद की राजनीति से बाहर निकालकर योग्यता और कर्मठता पर आधारित राजनीति की जरूरत है। वकीलों, डॉक्टरों और शिक्षकों को चुनावी मैदान में उतारना उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. जन सुराज का यह कदम यह संकेत देता है कि पार्टी बिहार में स्थापित राजनीतिक दलों के पारंपरिक समीकरणों को तोड़कर एक नया विकल्प देने की कोशिश कर रही है.

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