- बिहार में चुनावों की तारीखों की घोषणा जल्द हो सकती है, राजनीतिक दल अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं
- जी. किशन रेड्डी ने कहा कि मोदी सरकार ने महंगाई पर नियंत्रण कर 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है
- उन्होंने GST सुधार को आवश्यक बताया और कहा कि यह बदलाव देश के आर्थिक हित में समय-समय पर जरूरी होता है
बिहार में चुनाव की तारीखों का ऐलान जल्द ही हो सकता है. भले अभी चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ हो लेकिन इसे लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियों को आखिरी रूप देना अभी से शुरू कर दिया है. इस बार के चुनाव में बिहार में स्थानीय दलों के साथ-साथ औवैसी और रेवंत रेड्डी और एमके स्टालिन भी कांग्रेस के लिए वोट मांगते दिख सकते हैं. बिहार में इस बार का मुकाबला खास तौर पर इंडिया और एनडीए गठबंधन के बीच है. बिहार चुनाव को लेकर किस तरह की तैयारियां हैं और बीजेपी इस चुनाव को किस तरह से देखती है, इन तमाम मुद्दों पर NDTV ने केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी से खास बातचीत की.
उन्होंने NDTV से खास बातचीत में कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद लगातार अलग अलग प्रांतों में जब भी लोकसभा हो या फिर राज्य के चुनावों कोई भी चुनाव में हमें महंगाई मुद्दा नहीं बना है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि हमारी सरकार ने महंगाई पर नियंत्रण किया है और सफलतापूर्वक किया है जिसकी वजह से लोगों की समस्या हो या फिर उनकी ख़रीदने की ताक़त बढ़ी है और हमने 25 करोड़ लोगों को ग़रीबी रेखा से बाहर निकाला है.
मैं आपको बता दूं कि यह GST का दूसरा दौर है और इसमें कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं हैं. ग़रीब से लेकर अमीर देश की 140 करोड़ जनता को इसका फायदा मिल रहा है. चाहे वह कपड़ा ख़रीदने वाला हो मोबाइल ख़रीदने वालों या फिर सब्ज़ी ख़रीदने वाला.GST में बदलाव को लेकर उन्होंने कहा कि यह GST को बदलने की बात नहीं है ये उसे सुधारने और जनता से के लिए बेहतर करने की बात है समय समय पर बदलाव ज़रूरी है. और ठीक उसी तरह से GST को भी बेहतर करना पड़ेगा जैसे किसी की सैलरी बढ़ेगी तो वो नया सामान ख़रीदेगा को बेहतर करेगा वैसे ही हैं भारत के लिए जो बेहतर करना होगा.
आपको ये सोचना होगा कि हम उस समय GST लेकर आए हैं जब पूरे विश्व में आर्थिक स्थिति सब देशों की कमज़ोर है और गंभीर हैं उस समय भारत GST लेकर आया है. नए अंदाज़ में जिससे लोगों के लिए सुधार का बहुत फ़ायदा हुआ है.विपक्ष पर हमला करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कौन कहता है कि हमारे पास मुद्दा नहीं है. हमारे पास काम करने की इतनी जगह है हम स्वास्थ्य में आगे बढ़ रहे हैं. हम एयरपोर्ट आगे बढ़ा रहे हैं हम हर वो चीज़ कर रहे हैं जिससे देश को फ़ायदा हो रहा है हम रेलवे बेहतर कर रही है सड़के बेहतर कर रहे हैं महँगाई कम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि AIMIM के प्रमुख ओवैसी के पास कोई मुद्दा नहीं है और राहुल गांधी के पास तो सिवाय वोट चोरी खुद कोई मुद्दा नहीं है ख़ुद कांग्रेस के लोग यह नहीं समझ पाते हैं की वो चोरी का मुद्दा पर राहुल गांधी क्यों चिल्ला रहे हैं !
राहुल गांधी पर भी साधा निशाना
राहुल गांधी विपक्ष के नेता हैं और एक ज़िम्मेदार नेता है लेकिन उनका व्यवहार एक ग़द्दारी के तौर पर देखा जाएगा क्योंकि वो ज़िम्मेदारी से बात नहीं करते हैं. क्या वो सुप्रीम कोर्ट पर हमला करना चाहते हैं क्या वो राष्ट्रपति भवन पर हमला करना चाहते हैं? क्या वो प्रधानमंत्री पर हमला करना चाहते हैं? वो क्या करना चाहते हैं वो बिलकुल ग़ैर ज़िम्मेदाराना और राजनीति से प्रेरित बयान देते हैं और 140 करोड़ जनता के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं कोई भी ज़िम्मेदार नेता इस तरह की बात नहीं करेगा. हम एक बढ़ता हुआ देश है जो ग़रीबी से आगे बढ़ रहा है और गरीबों की सेवा करके हम इससे बेहतर कर रहे हैं हम अपनी ज़िम्मेदारी के साथ 11 साल से काम कर रहे हैं. लेकिन राहुल गांधी अगर समर्थन नहीं कर सकते हैं तो ख़ामोश रहे वो जो कर रहे हैं वो देश द्रोही हैं.
राहुल गांधी से पूछे सवाल
मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि आपकी मां हैं और अगर कोई आपकी मां को इस तरह से बोलेगा तो क्या आप चुप बैठेंगे ? ख़ामोश बैठेंगे और दूसरी पार्टी के लोग अगर ऐसा बोलेंगे तो लेकिन जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को बोला गया है, वो बिलकुल भी बर्दाश्त की सीमा के परे हैं ऐसी पुरानी पार्टी जो कभी संसद नहीं चलने देते तो सड़कों पर विपक्ष के नेताओं की और वो भी प्रधानमंत्री की माँ को गालियां देती है.
रेवंत रेड्डी और स्टालिन को लेकर कही ये बात
उन्होंने NDTV से कहा कि रेवंत रेड्डी और स्टालिन थोड़ा ज़्यादा घूमें तो और अच्छा होगा क्योंकि बिहार की जनता को यह पता चल जाएगा कि यही वो लोग हैं, जो बिहारियों को टायलेट साफ़ करने वाला और अलग अलग अपशब्दों से उनको बेइज़्ज़त करते रहे हैं. और वह वो किस मुंह से बिहार में जाकर वोट मांग रहे हैं. वो बिहार की जनता को अब शब्द बोलते हैं और मैं बिहार की जनता से अपील करना चाहता हूं कि वह क़दम क़दम पर उनसे सवाल करें कि बिहार की जनता को उन्होंने किस तरह से तिरस्कार किया है और उनके सम्मान को नुक़सान पहुंचाया है बिहार ने देश की सेवा में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है और उन लोगों का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि मैं यह पूछना चाहता हूं कि मजलिस पार्टी के ख़िलाफ़ पूछने वाला विरोध करने वाला उनकी नीतियों के ख़िलाफ़ बोलने वाला उनकी बतमीजी यों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाला अगर कोई रहा हैं तो सिर्फ़ बीजेपी और उनके कार्यकर्ता हम लगातार रज़ा करो और निज़ाम हो के निज़ाम के समय से लड़ते आ रहे हैं. अकेले और अभी भी लड़ रहे हैं और हम आगे भी लड़ेंगे हम मजलिस पार्टी से कोई समझौता नहीं करेंगे. जो पार्टी एक पैर कांग्रेस के कंधे पर और दूसरा पैर BRS के कंधे पर रखकर चल रही है ऐसी मजलिस पार्टी को बड़ा करने वाली पार्टियां कांग्रेस और बाक़ी पार्टियां हैं.
1980 में जब हमारी पार्टी बनी है उसके बाद कुछ ऐतिहासिक गलतियाँ भी हुई हैं जब एन T रामाराव ने पार्टी बनायी थी और कांग्रेस के सारे ऐंटि वोटर्स उनके पास चले गए थे. उसके बाद हम कुछ दिन NT रामाराव के साथ थे फिर तेलुगू देशम के साथ थे फिर 214 में TRS जवाई उसके बाद आम जनता अब समझ गई है और आने वाले चुनावों में वातावरण हमारे लिए बहुत अच्छा है और भारतीय जनता पार्टी अगले चुनाव में सत्ता में आएगी.
हिन्दी भाषा को लेकर हुए विवाद पर कही ये बात
केंद्रीय मंत्री ने हिंदी भाषा को लेकर हो रहे विवाद पर उन्होंने कहा कि जब चुनाव आता है तब DMK वो कांग्रेस और ये सारी पार्टियां हिंदी के ख़िलाफ़ बोलने लग जाती है. मैं आपको बता दूं कि तमिलनाडु में हिंदी फ़िल्में देखी जाती हैं और तमिल फ़िल्मों को भी हिंदी में डब करके पूरे देश में देखा जाता है.
रजनीकांत जैसे बड़े बड़े कलाकारों की फ़िल्में देखी जाती है लेकिन ये नि था इन पार्टी के हैं जो आज भी आम जनता अगर तमिलनाडु में तमिल के बाद किसी भाषा को जानती है तो वो हिंदी है और फिर उसके बाद अंग्रेज़ी आती है. अंग्रेज़ी काम के लिए नौकरी के लिए ज़रूरी हो सकती है लेकिन अपनी भाषा में बोलना और अपनी भाषा की जानकारी रखना या फिर मुझे अब भी नहीं समझ में आता है कि हिंदी से तमिलनाडु की पार्टियों को क्या दिक़्क़त है.
हम 1980 भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं और क्योंकि देश में सब जगह जाना होता था तो एक ही ऐसी भाषा थी जो गांव से लेकर शहर तक हर व्यक्ति समझता था. वो था इसलिए मैंने हिन्दी को प्राथमिकता दी अब फ़्रान्स चले जाइए वहां के लोग अपनी भाषा में बात करते हैं. आप अमेरिका चले जाइए वो अंग्रेज़ी में बोलेंगे आप जापान चले जाइए वो जापानी में बोलेंगे आप चाइना चली जाइए वो चीनी भाषा में बोलेंगे इसलिए भारत के लोग भी अपनी मात्र भाषा में और अपनी राष्ट्रभाषा में ज़रूर बात करेंगे. अंग्रेज़ी व्यवहार के लिए कई जगह ज़रूरी हो सकती है अंग्रेज़ी सीखना ज़रूरी हो सकता है लेकिन सिर्फ़ 1 अंग्रेज़ी भाषा ही नहीं हो सकती हमें अपनी मातृभाषा को प्राथमिकता देनी पड़ेगी. कोल इंडिया में किसी भी तरह के डिसेंबर स्टैंड विनिवेश का कोई भी प्लान नहीं है हमारी पब्लिक सेक्टर यूनिट को हम बेहतर कर रहे हैं. कुछ PSU के पब्लिक इश्यू आएंगे और आज भी कोल इंडिया सबसे बड़ा विश्व का संस्था है जो कोयले की पैदावार करता है.
उन्होंने आगे कहा कि आयरन ओर हो या फिर लाइम स्टोन हो हम उसकी भी पैदावार बढ़ाने के लिए बहुत ज़्यादा फ़ोकस कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हम अब ऑक्शन में कोल ब्लॉक्स और माइंड रॉक्स का ऑप्शन कर रहे हैं और उसका अलॉटमेंट कर रहे हैं निजी कंपनियों को देश में कोयले की किसी भी तरह की कमी नहीं है कम से कम 24 दिन का स्टॉक इस समय हर कंपनी के पास है.जो बिजली की पैदावार कर रहे हैं आप देखिए कि लगातार बारिश हुई इतनी दिक्कतें हुई लेकिन फिर भी कोयले की कहीं कमी नहीं हुई और बिजली या फिर पावर कि कंपनी को किसी भी तरह की दिक़्क़त नहीं हुई है. सब के पास कोयला मौजूद हैं कोयले की सप्लाई लगातार जारी है आज भी 74 फ़ीसदी पावर जनरेशन के लिए कोयले का ही इस्तेमाल किया जाता है.
जो क्रिटिकल मिनरल है ऐसे क़रीब 24 क्रिटिकल मिनरल को हमने प्रोत्साहन दिया है उनके प्रोडक्शन पर ध्यान दिया है और उनको बेहतर करने के लिए नैशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन स्थापित किया है. आने वाले 5 साल में हम इसे ख़र्च करेंगे और क़रीब आज की तारीख़ में फ़ीसदी इस तरह के क्रिटिकल मिनरल हम आयात करते हैं. भारत में इसका रिज़र्व कम है लेकिन अब इस पर कई गुना ज़िद ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा है. और उसे खोजकर उन जगहों को इसके लिए जिस भी तरह की मदद दी जाएगी जिससे हम क्रिटिकल मिनरल मैं बहुत बेहतर हो जाएंगे.
डोमेस्टिक कोल प्राइसस ट्रेंड इस समय स्टेबल हैं और सामान नहर कोई बहुत ज़्यादा बदलाव उसमें नहीं आ रहा है इसके लिए हमने कोल एक्सचेंज बनाया है जिसे हमने कैबिनेट में और संसद में पारित किया था. उसके तहत हम नेशनल कोल एक्सचेंज बनाएंगे जिससे कोयले का दाम सीमित रखा जाए.उसमें पारदर्शिता लाई जा सके वो चाहे सरकार हो चाहे निजी निवेशकों के लिए हो या फिर स्टील या फिर सीमेंट के लिए वो जिन्हें भी कोयले की ज़रूरत है या जो कोयला सप्लाई करते हैं उनके लिए 1 सामान्य तौर पर मूल्य निश्चित किया जाएगा.