- बिहार विधानसभा चुनाव के रुझानों में एनडीए ने 2010 का रिकॉर्ड तोड़ते हुए शानदार बढ़त बनाई है.
- एनडीए के घटक दलों बीजेपी और जेडीयू सबसे अधिक सीटें जीतती नजर आ रही है. महागठबंधन पीछे रह गया है.
- रुझानों के अनुसार एनडीए कुल 208 सीटों पर आगे चल रही है जो बहुमत के आंकड़े से बहुत ज्यादा है.
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं, रुझानों में एनडीए बंपर जीत की तरफ बढ़ती नजर आ रही है. दोपहर 3.30 बजे तक के रुझानों के मुताबिक NDA ने 2010 का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. बीजेपी, जेडीयू समेत एनडीए के घटक दलों का जोश बहुत हाई दिखाई दे रहा है. 2010 में एनडीए ने 122 सीटें जीती थीं, जबकि महागठबंधन को 114 सीटें मिली थीं. बता दें कि बिहार में एनडीए ने सीएम नीतीश कुमार और पीएम मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा है. जिस तरह के परिणाम निकलकर सामने आ रहे हैं, उससे ये तो साफ है कि बिहार की जनता को बीजेपी-जेडीयू का ये साथ पसंद आ रहा है.
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बिहार में NDA ने कमाल कर दिया
बिहार में एनडीए ने तो कमाल ही कर दिया. अब तक सामने आए रुझानों में एनडीए बंपर जीत की तरफ बढ़ रहा है, वहीं महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है. उसे उम्मीद के मुताबिक सीटें भी मिलती दिखाई नहीं दे रही हैं. नीतीश कुमार हर तरफ छाये हुए हैं. कार्यकर्ता एनडीए की इस सफलता का जमकर जश्न मना रहे हैं. पीएम मोदी के नेतृत्व में बिहार में बीजेपी ने बहुत ही शानदार प्रदर्शन किया है. कार्यकर्ता हाथों में पीएम मोदी की फोटो लिए इस जीत का जश्न मना रहे हैं.
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बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी
बता दें कि चुनाव आयोग ने बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर रुझान जारी कर दिए हैं. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. शुक्रवार दोपहर 3.30 बजे तक बीजेपी 95 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. वहीं, जदयू 84 सीटों पर आगे है. राष्ट्रीय जनता दल 24 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. लोजपा (रामविलास) 20 सीटों पर आगे चल रही है.
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NDA ने बहुमत का आंकड़ा किया पार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA बहुमत के आंकड़े को पार करता दिख रहा है. रुझानों में एनडीए 207 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं महागठबंधन (RJD-Congress-Left) महज 29 सीटों पर ही आगे है. तेजस्वी यादव की RJD सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी सिर्फ 29 सीटों पर सिमटती दिख रही है.
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प्रशांत किशोर की जन सुराज का हाल भी बहुत बुरा है. अन्य तो 7 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं. प्रशांत किशोर को उम्मीद थी कि वह तीसरा विकल्प बनकर उभरेंगे, लेकिन अब तक के रुझानों को देखकर तो लग रहा है कि बिहार की जनता ने तीसरे विकल्प के रूप में जन सुराज को नकार दिया है.













