- कांग्रेस आलाकमान ने बिहार प्रदेश इकाई के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई है जिसमें सीट बंटवारे पर चर्चा होगी.
- आरजेडी कांग्रेस को 50 सीटें देना चाहती है जबकि कांग्रेस करीब 60 सीटों की मांग कर रही है.
- विपक्षी गठबंधन में नए सहयोगियों की मांग के कारण कांग्रेस पर इस बार कम सीटों पर चुनाव लड़ने का दबाव है.
कांग्रेस आलाकमान ने मंगलवार को दिल्ली में बिहार प्रदेश इकाई के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई है. जानकारी के मुताबिक आरजेडी कांग्रेस की मांग के मुताबिक सीटें देने के लिए तैयार नहीं है. कांग्रसे पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रसे नेता राहुल गांधी बिहार कांग्रेस के प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ आरजेडी के साथ सीट बंटवारे और आगे की रणनीति को लेकर चर्चा करेंगे. बैठक में वोटर अधिकार यात्रा की समीक्षा भी हो सकती है.
सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि सीट बंटवारे को लेकर आरजेडी से कांग्रेस की बात बन नहीं पाई है. कांग्रेस 60 के करीब सीटें चाहती है जबकि आरजेडी उसे 50 पर मनाना चाहती है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों में से केवल 19 पर जीत दर्ज की थी. विपक्षी गठबंधन में वीआईपी जैसे नए सहयोगियों की एंट्री और सीपीआई एमएल की ज़्यादा सीटों की मांग के कारण कांग्रेस पर इस बार कम सीटों पर लड़ने का दबाव है. कांग्रेस कुछ सीटें छोड़ने को तैयार है लेकिन बदले में विपक्षी समीकरण के लिहाज से मजबूत सीटें चाहती है. सीट बंटवारे को लेकर शनिवार को पटना में आरजेडी और कांग्रेस की बैठक हुई लेकिन कांग्रेस की डिमांड को लेकर आरजेडी पूरी तरह तैयार नहीं हुई.
बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के ख़िलाफ़ राहुल गांधी की अगुवाई में 17 अगस्त से 1 सितंबर तक चली वोटर अधिकार यात्रा के बाद कांग्रेस का जोश हाई था. इस यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव भी मौजूद रहे लेकिन सारा क्रेडिट कांग्रेस और राहुल गांधी ले गए. इसके बाद कांग्रेस को उम्मीद जगी कि इस माहौल में वो ज़्यादा सीटों के लिए मोलभाव कर पाएगी लेकिन आरजेडी ने उसे मायूस कर दिया.
कांग्रेस के खाते में आएंगी 50 सीटें?
243 सदस्यीय बिहार विधानसभा के चुनाव में आरजेडी ने पिछली बार 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इस बार भी आरजेडी करीब 140 सीटों पर खुद लड़ना चाहती है. सीपीआई एमएलए पिछली बार की 19 सीटों से बढ़ कर कम से कम 30 सीटें चाहती है. सीपीआई और सीपीएम को पिछली बार मिलाकर 10 सीटें मिली थीं. इस बार की नई सहयोगी वीआईपी को 25 से 30 सीटें चाहिए. जेएमएम और पशुपति पारस की पार्टी को करीब 5 सीटों में एडजस्ट किया जाएगा. ऐसे में कांग्रेस के खाते में करीब 50 सीटें ही आती दिख रही है.
कांग्रेस की सीटें तभी बढ़ेगी जब आरजेडी झुकेगी!
देखना यही है कि सीटों के बंटवारे में आरजेडी कैसे संतुलन बिठाती है. इंडिया गठबंधन के एक सूत्र ने दावा किया कि ज्यादातर सीटों पर सहमति बन गई है. आरजेडी और कांग्रेस के अलावा बचे हुए दलों के लिए अलग से सीटों का पूल बनाया जा रहा है. सीटों के साथ संभावित उम्मीदवारों के जातीय समीकरण को भी ध्यान में रखा जा रहा है. कई सीटों पर अदला–बदली भी की जाएगी. हालांकि उन्होंने कहा कि सीट बंटवारे के एलान के लिए एनडीए में सीट बंटवारे के एलान का इंतज़ार किया जा रहा है.
इस बीच 10 सितंबर को कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमिटी की बैठक होगी जिसमें करीब दो दर्जन सीटों पर पार्टी के संभावित उम्मीदवारों के नामों की छंटनी की जाएगी.