- बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा आज दोपहर बाद चार बजे चुनाव आयोग द्वारा की जा सकती है.
- प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी बनाई है और तेज प्रताप यादव ने जनशक्ति जनता दल का गठन किया है.
- 2020 के बिहार चुनाव में चिराग पासवान और मुकेश सहनी बागी हो गए थे. इसका नतीजा भी देखने को मिला था.
Bihar Election Date Annoncement: आज बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा चुनाव आयोग कर सकता है. दोपहर बाद चार बजे इस घोषणा की उम्मीद है. बिहार की जनता की उम्मीदें आसमान पर हैं. इस बार के चुनाव में भी एनडीए की तरफ से नीतीश कुमार दमखम के साथ सीएम उम्मीदवार हैं. वहीं महागठबंधन ने अब तक किसी को सीएम फेस घोषित नहीं किया है. आरजेडी जरूर तेजस्वी यादव को सीएम फेस बता रही है और उसके नारों में भी तेजस्वी यादव ही हैं, लेकिन कांग्रेस की चुप्पी इस पर कायम है. महागठबंधन में कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. असदुद्दीन ओवैसी इस बार भी बिहार में हैं और धोखे का हिसाब मांग रहे हैं. मगर इस बार कुछ नया भी है. प्रशांत किशोर यानी पीके और तेज प्रताप यादव. पीएम और सीएम बनाने की रणनीति बनाने वाले पीके अब जन सुराज नाम की पार्टी बना चुके हैं. गांव-गांव का पैदल दौरा कर चुके हैं और लोगों को समझा रहे हैं कि एनडीए और महागठबंधन ने बिहार के लिए कुछ नहीं किया. वहीं लालू यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव परिवार के साथ पार्टी से भी निकाले जाने के बाद नई पार्टी जनशक्ति जनता दल बना चुके हैं. मतलब अब वो आरजेडी वाले नहीं जेजेडी वाले हो गए हैं और वो भी उसके सुप्रीमो.
तेज प्रताप और प्रशांत किशोर ने बढ़ाई रौनक
इन दो चेहरों ने बिहार विधानसभा चुनाव में नई रौनक ला दी है. जीत-हार के समीकरण नये सिरे से गढ़े जा रहे हैं. विकास की नई उम्मीद लिए युवा और पढ़ा-लिखा तबका प्रशांत किशोर की तरफ देख रहा है. देख तो गरीबी में जकड़ा आम इंसान भी रहा है. हालांकि, वोटों में ये आकर्षण कितना तब्दील हो पाएगा, ये चुनाव बाद ही पता लग पाएगा. वहीं तेज प्रताप अपने पिता लालू यादव और उनकी पार्टी के मूल कैडर यादव प्लस मुस्लिम में एक और तड़का हिंदू जोड़ बड़ी उम्मीद लगाए बैठे हैं. तेज प्रताप का तो जाहिर है कि वो तेजस्वी यादव को डेंट करेंगे, मगर प्रशांत किशोर को लेकर एनडीए और महागठबंधन दोनों पशोपेश में हैं.
चिराग पासवान और मुकेश सहनी का 2020
हालांकि, वोट कटने और पशोपेश का ये पहला चुनाव नहीं है. 2020 के विधानसभा चुनाव को याद कीजिए तो चिराग पासवान बागी हो गए थे. वो खुद को मोदी का हनुमान बताते और नीतीश कुमार के खिलाफ अपने कैंडिडेट उतारकत उन्हें चुनौती दे रहे थे. नतीजा नीतीश कुमार की पार्टी महज 43 सीटों पर ही चुनाव जीत पाई. जीत तो चिराग पासवान भी नहीं पाए. हां, उन्होंने नीतीश कुमार का नुकसान बड़ा कर दिया. नुकसान इतना बड़ा था कि उनकी पार्टी तीसरे नंबर पर पहुंच गई और उन्होंने सीएम बनने तक से इनकार कर दिया. मगर पीएम मोदी के समझाने पर वो सीएम बने. 2020 में चिराग पासवान की तरह मुकेश सहनी भी बागी हुए थे. वो भी लाइव प्रेस कांफ्रेंस में. महागठबंधन की तरफ से सीट बंटवारे का ऐलान प्रेस कांफ्रेंस में किया जा रहा था और मन-मुताबिक सीट नहीं मिलने पर वहां से उठकर सीधे एनडीए में चले गए और उस तरफ से उनकी पार्टी वीआईपी ने चुनाव लड़ा.
2020 बिहार चुनाव की खास बातें
- बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में तीन चरणों में हुआ था. पहले चरण में 71 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव हुआ. दूसरे चरण में 94 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव हुआ और तीसरे चरण में 78 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव हुआ. वोटों की गिनती 10 नवंबर को हुआ.
- पहले चरण के चुनाव का गजट नोटिफिकेशन 1 अक्टूबर को जारी किया गया था. नामांकन करने की आखिरी डेट 8 अक्टूबर थी. नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 12 अक्टूबर थी. पहले चरण की वोटिंग 28 अक्टूबर को थी.
- दूसरे चरण के चुनाव का गजट नोटिफिकेशन 9 अक्टूबर को जारी किया गया था. नामांकन करने की आखिरी डेट 16 अक्टूबर थी. नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 19 अक्टूबर थी. दूसरे चरण की वोटिंग 3 नवंबर को थी.
- तीसरे चरण के चुनाव का गजट नोटिफिकेशन 13 अक्टूबर को जारी किया गया था. नामांकन करने की आखिरी डेट 20 अक्टूबर थी. नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 23 अक्टूबर थी. तीसरे चरण की वोटिंग 7 नवंबर को थी.
- बीजेपी, जेडीयू, हम, वीआईपी वाले एनडीए गठबंधन को 125 सीटें और आरजेडी, कांग्रेस और वामदलों के गठबंधन को 110 सीटें मिली थीं.
- आरजेडी 75, बीजेपी 74, जेडीयू 43, कांग्रेस 19, अन्य को 32 सीटें मिलीं. अन्य में सीपीआईएमएल 12, एआईआईएम 5, सीपीआई 2 सीपीएम 2, बसपा 1, हम 4, लोजपा 1, वीआईपी 4 सीटें मिलीं.
हालांकि, सहनी चुनाव बाद फिर एनडीए से अलग हो गए और अब महागठबंधन में हैं. वहां 60-70 सीट और सरकार बनने पर डिप्टी सीएम की मांग कर रहे हैं. चिराग अब भी एनडीए में रहते-रहते बागी रुख अपना लेते हैं. वो भी ज्यादा सीटों के लिए दबाव बनाए हुए हैं. मांझी को भी अपनी पार्टी को राष्ट्रीय दर्ज दिलाने के लिए 10 सीटें चाहिए. वहीं कांग्रेस के तेवर इस बार सभी को चौंका रहे हैं. उसने डेढ़ दर्जन उम्मीदवारों के नाम भी तय कर लिए. दल बदलने वालों का भी तांता लगा हुआ है. तेज प्रताप या पीके में से किसके साथ ओवैसी जाते हैं और कौन सी पार्टी आखिरी क्षण में कब पाला बदलेगी, ये अगले कुछ दिनों में पता लग जाएगा. फिलहाल, चुनाव की घोषणा होते ही बिहार का तापमान बढ़ना तय है.