कोरोना संक्रमण काल में एक साथ दर्जनों की संख्या में गंगा में लाशों को बहाए जाने का मामला सामने आने के बाद बक्सर और उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारी इसे 'मेरा-तेरा' कह एक दूसरे के मत्थे मढ़ते जा रहे हैं. बक्सर के जिला पदाधिकारी अमन समीर ने प्रेस वार्ता कर पत्रकारों से कहा कि जो भी लाशें गंगा से मिली हैं, वो बक्सर जिले की ही हैं ऐसा कहना उचित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश से यह लाशें बहकर बक्सर की सीमा में पहुंची हैं.
वहीं, उधर गाजीपुर जिले के जिला पदाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने उन शवों को अपना मानने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि 'शव को गंगा में प्रवाहित करने की परंपरा रही है. साथ ही पूरे हिंदुस्तान में कोई भी व्यक्ति कहीं पर जाकर शव को प्रवाहित कर सकता है. ऐसे में यह कहना कि शव गाजीपुर से या किसी अन्य जगह से आ रहे हैं उचित नहीं होगा.' उन्होंने कहा कि रिवर पेट्रोलिंग शुरू कर दी गई है.
'पकड़े गए भभुआ से शवों को बहाने जा रहे लोग'
सिंह ने कहा कि 'सोमवार की शाम करीब एक दर्जन लोगों को पकड़ा गया, जो भभुआ की तरफ से हमारी सीमा में शवों का जल प्रवाह करने हेतु प्रवेश कर रहे थे. इन्हें चेक पोस्ट पर रोका गया और उनके स्वजनों के शवों शवदाह कराया गया. ऐसे में यह स्पष्ट है कि शवों को यूपी का कहना उचित नहीं है.'
दफन हुए 71 शव
इसके पूर्व बक्सर में जिला पदाधिकारी अमन समीर, एसपी नीरज कुमार सिंह समेत तमाम अधिकारी सोमवार की रात महादेवा घाट और उसके आसपास के घाटों पर पहुंचे और गंगा से निकाले गए कुल 71 शवों के डीएनए टेस्ट और कोविड-19 टेस्ट लिए नमूने लेकर उन्हें लैब में भेजा गया. दूसरी तरफ बरामद शवों को गंगा के किनारे ही दफन कर दिया गया.
एसपी नीरज कुमार सिंह ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि लोगों की मृत्यु कैसे हुई है इसकी जांच की जाएगी. इस बात की भी जांच की जा रही है कि शव यहां कैसे पहुंचे? भौगोलिक दृष्टिकोण से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उत्तर प्रदेश की सीमा से अपने जिले की सीमा में पहुंचे हैं. हालांकि, मामले की जांच पूरी होने के बाद तस्वीर साफ हो जाएगी.
ड्रोन कैमरे से भी होगी निगरानी
प्रशासनिक सूत्रों की मानें, तो ड्रोन कैमरे से भी घाटों की निगरानी करने की तैयारी की जा रही है. यह करने से यह बात साफ हो जाएगी कि शव कहां से बहाएं जा रहे हैं.