- बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच तीखी बहस देखने को मिली
- बिहार विधानसभा में वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर भारी हंगामा देखने को मिला
- तेजस्वी यादव ने बिहार में स्पेशल वोटर रिवीजन की प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए
Bihar assembly Session 2025: बिहार विधानसभा में बुधवार को वोटर लिस्ट रिवीजन के मुद्दे पर बड़ा हंगामा देखने को मिला. स्पेशल रिवीजन को लेकर जब तेजस्वी ने तीखे सवाल पूछे तो नीतीश कुमार सीट से खड़े हो गए. उन्होंने कहा, अरे जानते हो, बच्चा न हो. नीतीश ने कहा, 'आप चुनाव लड़िए. चुनाव में जितना ऊलजुलूल बोलना हो तो बोलिए. पहले किसी ने महिला को कुछ दिया था. अरे हमने ही 50 फीसदी किया. इसकी माता थी तो उसी पर तो नहीं बोल रहे. हमने महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण शुरू किया. आपने मुस्लिम समुदाय के लिए किया. उनके लिए भी सारा काम हमने ही किया.'
Bihar के सीएम ने कहा, 'पहले तो आप सरकार में थे ना. काहे के लिए बोल रहे हो. बात ये बोल रहा है... जब उमर तुम्हारा कम था, सात साल तुम्हारे पिता जी मंत्री थे. तुम्हारी माता मंत्री रहीं. मुख्यमंत्री रहे. उस समय क्या स्थिति थी. 20 साल का हमारा काम रहा. आज तीसरा दिन ही है, फिर चुनाव होने वाला है. हमने कितना काम शुरू किया है... पहले आपका क्या बजट था. बिहार के साथ केंद्र सरकार भी काफी मदद कर रही है.'
नीतीश ने कहा, तुम सब जानते हो, बच्चा न हो... जब हम साथ में थे तब तो हमारी बहुत बड़ाई कर रहे थे. हम लोगों ने बहुत काम किया है. तुम बहुत बच्चे हो. पहले पटना शहर में शाम में भी कोई निकलता था क्या. 2005 से पहले बिहार में कुछ नहीं था. आप लोगों ने कुछ नहीं किया. हम आप लोग के साथ कुछ दिन के लिए गए थे. लेकिन फिर आप लोग ठीक से काम नहीं तो वापस आ गए. आप चुनाव में जाइए, चुनाव जीतकर जाइए, इससे ज्यादा कुछ नहीं. देश की जनता जिसे चाहेगी, उसे चुनाव जिताएगी. देश की जनता जिसे चाहेगी उसे सत्ता में बैठाएगी. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वोटर लिस्ट के मुद्दे पर एक शब्द विधानसभा के अंदर कुछ नहीं कहा. आप लोगों को बेमतलब का नहीं करना चाहिए.
क्या विधायक फर्जी तरीके से चुने गए-तेजस्वी
इससे पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा, लालू जी कहते हैं, वोट का राज मतलब छोट का राज. संविधान में हमें ये अधिकार मिला है, जो भी 18 साल का हो जाए, उसे मतदान का अधिकार मिला है. संविधान ने सबको बराबर का अधिकार दिया है. हमारी जो एसआईआर प्रक्रिया है, हमें इसका विरोध नहीं है. लेकिन जो तौरतरीका और पारदर्शिता होनी चाहिए, वो नहीं हो रहा है. चुनाव आयोग का कहना है कि उसे शिकायत मिली है कि बाहरी वोटर आ गए हैं. 2003 में अटल सरकार के दौरान ये अभियान चला था. इसमें 1-2 साल लगा था. इस दौरान कई बार चुनाव हुए हैं. तो क्या हम कहें कि नीतीश कुमार फर्जी मुख्यमंत्री बने हुए हैं. क्या जो विधायक चुने गए हैं, वो फर्जी तरीके से चुनकर आए हैं.
गरीब गुरबा दस्तावेज कहां से लाएगा?
अगर ये अभियान चलाना था तो फरवरी में करा लेते या फिर लोकसभा चुनाव के बाद करा लेते. फिर बारिश के दौरान ऐसा कराने का क्या मतलब है. हम लोगों ने खुद देखा है कि बीएलओ खुद साइन करके ऐसा कर रहा है. चुनाव आयोग ने 11 दस्तावेज मांगे हैं. लेकिन बिहार दस्तावेज के माध्यम में फिसड्डी राज्य है. लेकिन गरीब के पास ऐसे डॉक्यूमेंट नहीं है. राशनकार्ड, आधार कार्ड या मनरेगा कार्ड को क्यों शामिल नहीं किया गया.
चुनाव आयोग खुद कह रहा, कोई घुसपैठिया नहीं
तेजस्वी ने कहा, साढ़े चार करोड़ लोग बाहर रहते हैं, कुछ थोड़े वक्त के लिए जाते हैं, कुछ लंबे वक्त के लिए जाते हैं, लेकिन वो बिहार वोट देने जरूर आते हैं. डर है कि वोटर लिस्ट से उनका नाम कट जाएगा. चुनाव आयोग नागरिकता साबित कैसे करता है. यहां दो उप मुख्यमंत्री बैठे हैं. दोनों ने सूत्रों के आधार पर दावा करना शुरू कर दिया कि बांग्लादेशी आ गया. नेपाल का आ गया. म्यांमार के लोग आ गए. चुनाव आयोग ने जो डॉक्यूमेंट दिया है, उसमें कहीं भी नहीं है कि कोई विदेशी आ गया. जब इलेक्शन कमीशन नहीं मान रहा है कि कोई घुसपैठिया नहीं है.