बिहार चुनाव 2025: चुनावी साल में नीतीश कुमार को क्यों आई युवाओं की याद, विपक्ष का दबाव तो नहीं?

बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने युवाओं के लिए युवा आयोग के गठन का फैसला लिया है. खास बात यह है कि इसके प्रमुख और सदस्य की आयु भी 45 साल से अधिक नहीं होगी. आखिर क्यों लेना पड़ा नीतीश सरकार को यह फैसला.

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  • बिहार सरकार ने युवाओं के रोजगार और सशक्तिकरण के लिए बिहार युवा आयोग के गठन की मंजूरी दे दी है.
  • युवा आयोग में एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष और सात सदस्य होंगे, जिनकी अधिकतम आयु 45 साल निर्धारित की गई है.
  • आयोग का मुख्य उद्देश्य राज्य के युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना, शिक्षा सुधारना और निजी क्षेत्र में प्राथमिकता सुनिश्चित करना है.
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नई दिल्ली:

नीतीश कुमार की सरकार ने मंगलवार को कई बड़े फैसले लिए. इसमें सबसे बड़ा फैसला था युवा आयोग के गठन की घोषणा करना. नीतीश कुमार ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा आयोग बिहार के युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध कराने, प्रशिक्षित करने, सशक्त और सक्षम बनाने के लिए काम करेगा. नीतीश सरकार ने यह फैसला चुनावी साल में लिए हैं. इसलिए कई सवाल भी इस फैसले को लेकर खड़े हो रहे हैं. क्योंकि विपक्ष युवाओं के पलायन, रोजगार और सरकारी नौकरियों को मुद्दा बना रहा है.

क्या है नीतीश कुमार कैबिनेट का फैसला

कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार युवा आयोग के गठन की मंजूरी दी गई है. समाज में युवाओं की स्थिति में सुधार और उत्थान से संबंधित सभी मामलों पर सरकार को सलाह देने में इस आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. युवाओं के लिए बेहतर शिक्षा और रोजगार सुनिश्चित करने के लिए आयोग सरकारी विभागों के साथ समन्वय भी बनाएगा. इस आयोग में एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष और सात सदस्य होंगे. इसके पदाधिकारियों की अधिकतम आयु 45 साल होगी. आयोग इस बात की निगरानी करेगा कि राज्य के स्थानीय युवाओं को राज्य के भीतर निजी क्षेत्र के रोजगारों में प्राथमिकता मिले. आयोग राज्य के बाहर रहकर पढ़ाई करने वाले युवाओं के हितों की भी रक्षा करेगा. 

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उल्लेखनीय है कि चुनावी साल में बिहार में युवाओं के पलायन और रोजगार को विपक्ष मुद्दा बना रहा है. विपक्ष का चेहरा और राज्य का उपमुख्यमंत्री रहे तेजस्वी यादव इसे मुद्दा बना रहे हैं. वह लगातार दावा कर रहे हैं कि उनके उपमुख्यमंत्री रहते हुए ही बिहार में पांच लाख युवाओं को रोजगार दिया गया. उनका कहना है कि सरकार बनने के बाद भी ऐसा ही किया जाएगा. राजद ने पांच मार्च को युवा संसद का आयोजन किया था. इसमें तेजस्वी यादव ने घोषणा की थी कि उनकी पार्टी की सरकार बनते के एक महीने के भीतर युवा आयोग का गठन किया जाएगा. 

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नीतीश कुमार की खराब होती छवि

पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ने जा रहे जन सुराज के प्रशांत किशोर भी बिहार में रोजगार की तलाश के लिए हो रहे पलायन को मुद्दा बना रहे हैं. उनका कहना है कि गलत नीतियों की वजह से ही लोगों को बिहार से पलायन करना पड़ा रहा है. अगर उनकी सरकार बनी तो इस समस्या का समाधान करवाया जाएगा.

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ऐसे में नीतीश कुमार की सरकार की ओर से युवा आयोग के गठन के फैसले के पीछे विपक्ष का दवाब साफ नजर आ रहा है. बिहार की नीतीश सरकार इन दिनों खराब होती कानून व्यवस्था और बढ़ते अपराध से परेशान है. इससे नीतीश सरकार की सुशासन बाबू की छवि को धक्का लग रहा है. चुनावी साल में यह नीतीश कुमार के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. इससे उबरने के लिए नीतीश कुमार की सरकार ने आज कैबिनेट में धड़ाधड़ फैसले लिए हैं. अब इनका असर क्या होता है, इसके लिए हमें चुनाव परिणामों का इंतजार करना होगा.

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