बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले चरण में गुरुवार को ऐतिहासिक मतदान हुआ. चुनाव आयोग के मुताबिक 121 सीटों पर 64.69 फीसदी वोटिंग हुई है. यह बिहार के चुनावी इतिहास में अब तक का सबसे अधिक मतदान है. इस ऐतिहासिक मतदान को राज्य के दोनों प्रमुख गठबंधन अपने-अपने पक्ष में बता रहे हैं. आइए देखते हैं कि बिहार के बंपर मतदान का फायदा किस दल या गठबंधन को मिल सकता है.
क्या कह रहे हैं राजनीतिक दल
भारी मतदान की खबर आने पर इंडिया गठबंधन के सीएम फेस तेजस्वी यादव ने कहा,''मैं बिहार की जनता को भारी मतदान के लिए सलाम करता हूं. मैं अब पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि आपने 'महागठबंधन' की जीत सुनिश्चित कर दी है.'' वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी ने कहा,''आज जिन सीटों पर मतदान हुआ, उनमें से लगभग 100 सीटें हम जीतने जा रहे हैं. राजग की कुल सीटें 2010 के 206 सीटों के रिकॉर्ड को पार कर जाएंगी.'' वहीं जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने दावा किया कि सबसे ज्यादा मतदान लोगों की बदलाव की चाहत का संकेत है. उन्होंने कहा कि मतगणना के बाद बिहार में एक नई सरकार बनेगी.
बंपर मतदान पर राजनीतिक दलों के दावों में कितना दम है, यह जानने के लिए हमने देश के वरिष्ठ पत्रकार सतीश के सिंह से बात की. हमने उनसे जानना चाहा कि आखिर इस बंपर वोटिंग की वजह क्या है और इसका नफा-नुकसान किसे उठाना होगा. इस सवाल के जवाब में सतीश के सिंह ने कहा कि पहली नजर में यह मतदान बिहार के लोगों की वर्तमान व्यवस्था को बदलने के लिए किया है. उन्होंने कहा कि एक तरह से यह बिहार के लोगों की कराह है, जो वर्तमान व्यवस्था को बदलना चाहते हैं.
चुनाव आयोग के मुताबिक पहले चरण में 121 सीटों पर 64.69 फीसदी वोटिंग हुई है.
उन्होंने कहा कि इस चुनाव में बीजेपी ने आक्रामक और जोर-शोर से प्रचार किया. वहीं आप बाकी के तीन राजद, जेडीयू और प्रशांत किशोर की जन सुराज के प्रचार रणनीति के बारे में किसी को पता हीं नहीं चला. उन्होंने कहा कि इस बार राजद ने 2020 जैसा भी चुनाव प्रचार नहीं किया. यह हाल जनसुराज और जेडीयू का भी रहा. इन लोगों ने कैसे लोगों को मोबलाइज किया और कैसे चुनाव प्रबंधन किया और प्रचार किया, यह किसी को पता ही नहीं है. लेकिन जिस तरह के लोगों ने मतदान किया है, उसे देखते हुए आप यह कह सकते हैं कि बड़े पैमाने पर (मैसिव) मोबलाइजेशन हुआ है. इसका मतलब यह हुआ कि अगर दोनों गठबंधनों और एक दल ने मैसिव मोबलाइजेश किया है तो इसका असर चुनाव परिणाम पर पड़ेगा.
क्या बंपर मतदान के पीछे एसआईआर भी कारण है
सतीश के सिंह ने इस ऐतिहासिक मतदान के पीछे एसआईआर को भी एक कारण बताया. उन्होंने कहा कि एसआईआर में बड़े पैमाने पर लोगों के नाम काटे जाने की वजह से भी मतदान का आकार बड़ा दिख रहा है. उन्होंने कहा कि महिलाओं की बड़ी संख्या में वोट दिया है. इसके पीछे की वजह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से योजनाओं से महिलाओं को मिला फायदा है. इसलिए वो बड़ी संख्या में निकलकर वोट देने आईं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं का वोटिंग में बढ़-चढ़कर शामिल होना बिहार के लिए कोई नई बात नहीं है. उन्होंने कहा कि 2005 के चुनाव से महिलाएं बड़ी संख्या में वोट कर रही हैं. उन्होंने कहा कि वो महिलाएं भी बड़ी संख्या में वोट करने आईं, जिनके पति काम करने किसी दूसरे शहर में चले गए है और अपने परिवार को घर पर ही छोड़ गए हैं. एक करोड़ से अधिक महिलाओं के खाते में नीतीश कुमार की सरकार ने पैसे भी पहुंचाएं हैं, इसका असर भी मतदान पर देखा गया है.
पिछले चुनावों की तरह इस चुनाव में भी बिहार में महिलाओं ने मतदान में बढ़ चढ़कर भाग लिया.
सतीश के सिंह का कहना था कि जिन इलाकों में महिलाओं का वोट फीसद अधिक होता है, उन इलाकों में जेडीयू का प्रदर्शन अच्छा होता है. यह ट्रेंड 2020 के चुनाव में भी देखने को मिला था, जब जेडीयू को केवल 43 सीटें मिली थीं. इसलिए महिलाओं के वोटिंग का फायदा एनडीए को मिलेगा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. वह कहते हैं कि बिहार में युवा भी एक फैक्टर है और युवाओं में महिलाएं व युवतियां भी शामिल हैं और उन महिलाओं और युवतियों की जाति भी होती है.रोजगार और शिक्षा के लिए वोट कर सकते हैं, जिसे महागठबंधन मुद्दा बना रहा है. उन्होंने कहा कि इसका फायदा नीतीश को मिल सकता है. उन्होंने कहा कि अगर इस बंपर वोट का फायदा नीतीश जी को अधिक हुआ तो बीजेपी तीसरे नंबर पर भी जा सकती है.
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