गुजरात ATS ने जासूसी के आरोप में एक शख्स को गिरफ्तार किया है. आरोपी की पहचान 53 वर्षीय लाभशंकर महेश्वीर के रूप में की गई है. ATS ने मिलिट्री और एयर फोर्स से मिली इंटेलिजेंस के इनपुट के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार किया है. पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि इसी साल जुलाई में एमआई अधिकारियों को एक पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव (पीआईओ) द्वारा चलाए जा रहे एक नापाक अभियान का पता लगाया था. जिसमें एक व्हाट्सएप नंबर के जरिए सुरक्षा बलों के जवानों के एंड्रॉइड मोबाइल हैंडसेट में 15 अगस्त के पहले हर घर तिरंगा अभियान के नाम पर 'apk' एंड्रॉइड एप्लिकेशन डाउनलोड करने के लिए कहा गया.
ISI को दिया था भारतीय फोन नंबर
जांच में पता चला है कि आरोपी ने स्कूल का अफसर बनकर ये भी मैसेज किया गया कि लोग अपने बच्चे के साथ राष्ट्रीय ध्वज की तस्वीर अपलोड करें. ऐसे जवान जिनके बच्चे आर्मी स्कूलों या डिफेंस के स्कूलों में पढ़ते हैं. जांच में पता चला की आरोपी लाभशंकर महेश्वरी ने ये भारतीय नंबर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को उपलब्ध कराया कराया था.
स्कूल के छात्रों और उनके अभिभावकों की जानकारी जुटाई
आरोपी के मोबाइल की फोरेंसिक जांच से पता चला की इस वॉट्स एप नंबर का इस्तेमाल पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लोग कर रहे थे. इसके जरिए वो सुरक्षा में तैनात जवानों के मोबाइल से खुफिया जानकारियां हासिल करने के लिए उनके मोबाइल को हैक कर रहे . ये भी शक है कि पाकिस्तानी एजेंसी एपीएस (आर्मी पब्लिक स्कूल) की वेबसाइट या एंड्रॉइड एप्लिकेशन "डिजीकैंप्स" जिसका उपयोग फीस जमा करने के लिए किया जाता है. उसके जरिए एपीएस के छात्रों और उनके अभिभावकों से जुड़ी जानकारी हासिल करने में कामयाब रहे हैं.
आरोपी है पाकिस्तानी हिंदू
ये वे स्कूल हैं जो भारतीय सेना के सहयोग से एक निजी संस्था आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी (AWES) के अंतर्गत आते हैं. आरोपी लाभशंकर माहेश्वरी मूल रूप से एक पाकिस्तानी हिंदू है जो फर्टिलिटी उपचार के लिए 1999 में अपनी पत्नी के साथ भारत आया था. शुरुआत में वो तारापुर में अपने ससुराल में रह रहा था,फिर धीरे धीरे वहां कई दुकानें खोली और उसका अच्छा खासा कारोबार हो गया. 2006 में उसे भारतीय नागरिकता मिल गई.
आरोपी के माता-पिता पाकिस्तान में
2022 की शुरुआत में आरोपी पाकिस्तान में अपने माता-पिता से मिलने गया. कथित तौर पर वहां वीजा प्रक्रिया और अपने माता-पिता के घर पर डेढ़ महीने रहने के दौरान उसका ब्रेनवाश किया गया. तभी से वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी से संपर्क में है.व्हाट्सएप अकाउंट बनाने के बाद उसने बाद में सिम कार्ड पाकिस्तान भेजा था और इसके बदले उसे पैसा मिला था. आरोपी की गिरफ्तारी को MI, गुजरात एटीएस और एयरफोर्स इंटेलीजेंस एक बड़ी कामयाबी मान रही है.