एक महीने पहले, जब एनडीए सरकार ने अपना तीसरा कार्यकाल शुरू किया था, तो भारत ने साफ तौर पर कहा था कि वह अपने पड़ोसी देशों पर ध्यान केंद्रित करेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण के अवसर पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे सहित पड़ोस और हिंद महासागर क्षेत्र के नेता मौजूद रहे थे.
पड़ोसी देशों को सबसे ज्यादा सहायता
इसके अनुरूप, बजट में विदेश मंत्रालय के परिव्यय का एक बड़ा हिस्सा, 4,883 करोड़ रुपये, "देशों को सहायता" के लिए निर्धारित किया गया है, जिसमें से पड़ोसी देशों - नेपाल, श्रीलंका, भूटान, मालदीव, अफगानिस्तान और म्यांमार - को सबसे बड़ा हिस्सा मिलता है.
बजट में की गई है घोषणा
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को केंद्रीय बजट 2024-25 पेश किए जाने के बाद जारी किए गए केंद्रीय बजट दस्तावेजों के अनुसार, भूटान को भारत सरकार की ओर से सबसे अधिक सहातया प्रदान की गई है. इसे सबसे अधिक अनुमानित 2,068.56 करोड़ रुपये की सहायता मिली है, जो पिछले साल की तुलना में 2,400 करोड़ रुपये कम है.
इन देशों को भी दी गई है सहायता
यह प्रावधान भारत के बहुपक्षीय और द्विपक्षीय सहायता और पड़ोसी तथा अन्य विकासशील देशों को सहायता कार्यक्रमों के लिए है. यह सहायता निकटवर्ती पड़ोसी देशों के साथ-साथ अफ्रीका, मध्य एशिया, दक्षिण एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों को भी प्रदान की जाती है.
नए बजट में मालदीव को 400 करोड़ रुपये
मालदीव को नए बजट में 400 करोड़ रुपए मिलेंगे, जो पिछले साल के बराबर है. भारत विरोधी प्रदर्शनों के साथ-साथ पिछले साल के अंत में इसके शीर्ष नेतृत्व की टिप्पणियों के बावजूद, जिससे कूटनीतिक विवाद पैदा हुआ, द्वीपसमूह राष्ट्र में भारत का निवेश लगातार बना हुआ है.
नेपाल को 700 करोड़ का आवंटन
नेपाल 700 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ एक महत्वपूर्ण लाभार्थी के रूप में सामने आया है, जो पिछले वर्ष के 550 करोड़ रुपये के बजट से 150 करोड़ रुपये की पर्याप्त वृद्धि को दर्शाता है, जिसे बाद में संशोधित कर 650 करोड़ रुपये कर दिया गया. नेपाल के अलावा, श्रीलंका और सेशेल्स के लिए भी आवंटन में वृद्धि की गई है, जो 245 करोड़ रुपये (पिछले वर्ष के 150 करोड़ रुपये के आवंटन से 95 करोड़ रुपये अधिक) और 40 करोड़ रुपये (10 करोड़ रुपये से अधिक) है.
देशों के समर्थन और विकास के लिए है ये सहायता
यह वृद्धि प्रत्येक देश की जरूरतों और आवश्यकताओं पर निर्भर है. ये आवंटन बुनियादी ढांचे के समर्थन और विकास परियोजनाओं के लिए हैं. अफगानिस्तान और मालदीव के आवंटन में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जो 200 करोड़ रुपये और 400 करोड़ रुपये पर ही बने हुए हैं. ईरान में चाबहार बंदरगाह परियोजना को लगातार 100 करोड़ रुपये का आवंटन मिल रहा है, जो पिछले तीन वर्षों से बदला नहीं गया है. 2024-25 के लिए विदेश मंत्रालय का कुल बजट अनुमान 22,155 करोड़ रुपये है, जो 2023-24 में आवंटित 18,050 करोड़ रुपये से अधिक है. हालांकि, यह उसी वित्त वर्ष के लिए 29,121 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से कम है.