भीमा कोरेगांव मामला : सुप्रीम कोर्ट में वरनन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा की जमानत याचिका पर सुनवाई टली

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एनआईए को भीमा कोरेगांव मामले में फरार अन्य आरोपी व्यक्तियों से एक्टिविस्ट गोंजाल्विस के मुकदमे को अलग करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने का निर्देश दिया.

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NIA की विशेष अदालत से आरोपी वरनन गोंजाल्विस पर 3 महीने के भीतर आरोप तय करने को कहा था

नई दिल्‍ली: भीमा कोरेगांव (Bhima Koregaon) मामले में आरोपी वरनन गोंजाल्विस  (Vernon Gonsalves) और अरुण फरेरा की जमानत के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है. इस मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आगे मामले की सुनवाई नहीं टाली जाएगी. इससे पहले 18 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने राष्‍ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत से आरोपी वरनन गोंजाल्विस पर तीन महीने के भीतर आरोप तय करने को कहा था.

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एनआईए को भीमा कोरेगांव मामले में फरार अन्य आरोपी व्यक्तियों से एक्टिविस्ट गोंजाल्विस के मुकदमे को अलग करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने का निर्देश दिया. साथ ही कोर्ट ने एनआईए से फरार आरोपियों के लिए भगोड़ा अपराधी नोटिस जारी करने को भी कहा था. 

अदालत 2019 के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली गोंजाल्विस द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी.  बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2019 में एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज, वरनन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा द्वारा दायर जमानत आवेदनों को खारिज कर दिया था.

अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया सबूत हैं कि तीनों आरोपी CPI (माओवादी) के सक्रिय सदस्य थे, जो एक प्रतिबंधित संगठन है, और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम ( UAPA) की धारा 20 आकर्षित होती है. बेंच ने दलीलें सुनने के बाद पाया कि गोंजाल्विस को पहले प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा होने के लिए दोषी ठहराया गया था.

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