भारतीय किसान संघ ने बीज के लिए कानून बनाने की मांग की, बताया किसानों को कैसे हो रहा नुकसान

भारत की 60 से 70 प्रतिशत जनसंख्या खेती पर निर्भर है. कभी रईसी की पहचान खेती आज कमजोर तबके की पहचान बन गई है. किसान संगठन इसे लेकर तरह-तरह से सरकार से अपनी मांग रख रहे हैं.

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भारतीय किसान संघ ने बीज को लेकर सरकार से बड़ी मांग की है.

देश के सबसे बड़े किसान संगठन भारतीय किसान संघ की दो दिवसीय अखिल भारतीय प्रबंध समिति की बैठक उड़ीसा के भूवनेश्वर स्थित उत्कल विपन्न सहायता समिति के सभागार में संपन्न हुई. इसमें किसान हितैषी बीज कानून तत्काल बनाने की मांग सरकार से की गई. 

बैठक के बाद महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने बताया कि सही बीज कानून न होने के कारण नकली, अप्रमाणिक व अनाधिकृत बीज धड़ल्ले से बाजार में बिक रहे हैं. इन बीजों के कारण किसानों का भारी नुकसान हो रहा है. मूल्य नियंत्रण न होने के कारण किसानों की लागत में बेतहाशा वृद्वि हो रही है. 

15 हजार करोड़ के बीज बाजार पर किसान की निर्भरता बढ़ रही है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद किसान हित की आड़ में संदिग्ध समझौतों से बाज आए. इस बैठक में देश भर के दो सौ से अधिक किसान प्रतिनिधि शामिल हुए. कृषि व किसान के विषयों पर दो दिन तक हुए चिंतन के दौरान कृषि लागत कम करने पर मंथन हुआ.

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कृषि अर्थशास्त्री डॉ वी एस व्यास ने एक दूसरे कार्यक्रम में बताया था कि खेतों के विखंडन और असंगठन के कारण छोटे और सीमांत किसानों के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी, अधिक फसल देने वाले बीजों और खाद का इस्तेमाल आर्थिक रूप से व्यवहारिक नहीं रहता है. उन्होंने कहा कि वे अलग अलग अपने उत्पादों की बिक्री द्वारा उनका बेहतर मूल्य भी नहीं अर्जित कर पाते हैं. कृषक उत्पादक संगठनों के गठन द्वारा किसानों को समय पर और पर्याप्त वित्तीय सहायता, क्षमता निर्माण आदि सुलभ हो सकेगी. इन संगठनों की मदद से किसान अपने उद्यम बनाने में सक्षम हो सकेंगे और बाजार तक उनकी पहुंच आसान होगी. 

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