"प्रशांत किशोर अभी भी हमारे साथ": कांग्रेस के साथ पीके की बातचीत फेल रहने के बाद बोलीं ममता बनर्जी

तृणमूल कांग्रेस की तरफ से ये बयान तब आया जब हाल ही में कांग्रेस और प्रशांत किशोर के बीच की बातचीत असफल रही. प्रशांत किशोर के पार्टी में शामिल होने की बातचीत पिछले हफ्ते उस समय विफल हो गई जब कांग्रेस ने फ्री हैंड की उनकी मांगों को स्वीकार करने से मना कर दिया. 

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नई दिल्ली:

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने एनडीटीवी को बताया कि उनकी पार्टी राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ काम करना जारी रखेगी. प्रशांत किशोर बंगाल चुनाव में ममता की पार्टी के साथ जुड़े थे, इन चुनावों में टीएमसी को शानदार जीत मिली थीं. तृणमूल कांग्रेस की तरफ से ये बयान तब आया जब हाल ही में कांग्रेस और प्रशांत किशोर के बीच की बातचीत असफल रही. प्रशांत किशोर के पार्टी में शामिल होने की बातचीत पिछले हफ्ते उस समय विफल हो गई जब कांग्रेस ने फ्री हैंड की उनकी मांगों को स्वीकार करने से मना कर दिया. 

कांग्रेस ने उन्हें अपने "एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप" के हिस्से के रूप में पार्टी में शामिल होने की पेशकश की, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया. पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के एक वर्ग ने तेलंगाना की सत्तारूढ़ पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के साथ आईपैक के बीच हुई डील का हवाला दिया था, जिस वजह से प्रशांत किशोर को काग्रेंस में शामिल नहीं किया गया. एनडीटीवी से बात करते हुए, ममता बनर्जी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने भी यही चिंता जाहिर खी थी, लेकिन उन्हें यह "स्पष्ट" कर दिया गया था कि पार्टी उनके साथ अपना जुड़ाव जारी रखेगी.

उन्होंने कहा, तृणमूल कांग्रेस के भीतर भी उनकी भूमिका को लेकर मतभेद थे लेकिन यह स्पष्ट कर दिया गया था कि चुनावी रणनीतिकार के तौर पर उनके साथ जुड़े रहेंगे. प्रशांत किशोर, को ममता बनर्जी ने बंगाल चुनाव अभियान में अपनी पार्टी के साथ जोड़ा था, पिछले साल की भारी जीत के बाद भी अपनी पार्टी के साथ काम करना जारी रखे हुए हैं. हाल के महीनों में, उन्होंने तृणमूल के लिए प्रतिद्वंद्वी दलों, मुख्य रूप से कांग्रेस के दिग्गजों की भर्ती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

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महीनों की बातचीत और कांग्रेस द्वारा पार्टी को फिर से जीवंत करने के अपने प्रस्ताव को स्वीकार करने के बारे में अटकलों के बाद, प्रशांत किशोर ने पार्टी के "एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप" में शामिल होने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. वहीं सूत्रों ने बताया कि पीके या तो कांग्रेस अध्यक्ष का राजनीतिक सचिव या उपाध्यक्ष बनना चाह रहे थे. प्रशांत किशोर और कांग्रेस के करीबी सूत्रों ने संकेत दिया था कि पार्टी उनके द्वारा सुझाए गए सुधारों के लिए तैयार नहीं थी.

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