शराब की लत सेहत के लिए हानिकारक होती है, ये बात सभी को पता है. अक्सर कई भीषण हादसों की वजह भी शराब ही होती है. हाल ही में पुणे पोर्श कार हादसे में भी आरोपी के नशे में होने का दावा किया जा रहा है. प्रीमियम एल्कोबेव सेक्टर की शीर्ष संस्था इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएसडब्ल्यूएआई) ने नियामक ढांचे के साथ भारत में एक समान अल्कोहल दिशानिर्देशों की पुरजोर वकालत की है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक शराब की खपत से जुड़े मिथकों को दूर करने और इसका सेवन जिम्मेदारी करने को बढ़ावा देने के लिए, आईएसडब्ल्यूएआई ने सभी से अपील करते हुए इस बात पर जोर दिया है कि शराब, चाहे किसी भी रूप में हो वह आखिरकार नशा ही है. हालांकि ISWAI ने इस बात से इनकार किया है कि यह कदम पुणे में हाल ही में हुई घातक दुर्घटना के कारण उठाया गया है, जिसमें पोर्शे चला रहे एक नाबालिग ने दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की जान ले ली.
बीयर, व्हिस्की और वाइन, किसमें है सबसे ज्यादा नशा
ISWAI की तरफ से कहा गया है कि कई लोगों का मानना है कि डिस्टिल स्पिरिट, बीयर या वाइन की तुलना में अधिक नशीला होता है, भले ही खपत की गई मात्रा कुछ भी हो. मगर इसकी हकीकत अलग है. दरअसल अल्कोहल वाले सभी पेय पदार्थों में अल्कोहल की मात्रा एक समान ही होता है और इसलिए इसका शरीर पर एक जैसा ही असर होता है. ये एक गलत धारणा है कि बीयर, आरटीडी (रेडी-टू-ड्रिंक), या वाइन में डिस्टिल्ड स्पिरिट की तुलना में कम अल्कोहल होता है. बीयर, वाइन और डिस्टिल्ड स्पिरिट की एक बोतल में स्टैंडर्ड सर्विंग की संख्या अलग-अलग होगी.
अलग देशों के बीच अल्कोहल की स्टैंडर्ड सर्विंग अलग-अलग
इसमें यह भी बताया गया है कि अलग देशों के बीच स्टैंडर्ड सर्विंग का आकार अलग-अलग होता है, लेकिन सबसे स्टैंडर्ड सर्विंग को 10 ग्राम अल्कोहल के रूप में परिभाषित किया गया है. एक स्टैंडर्ड सर्विंग की 10 ग्राम परिभाषा का उपयोग करते हुए, 13 प्रतिशत एबीवी पर 99 मिलीलीटर वाइन का गिलास, 42.8 प्रतिशत एबीवी पर 30 मिलीलीटर स्पिरिट, या 5 प्रतिशत एबीवी पर 257 मिलीलीटर बीयर का गिलास सभी में समान मात्रा में अल्कोहल होता है.
बीयर, वाइन या डिस्टिल स्पिरिट में फर्क नहीं, मायने इस बात के कितनी मात्रा में अल्कोहल का सेवन किया
स्वास्थ्य के लिहाज से यदि लोग बीयर या वाइन पीने के प्रभावों को कम आंकते हैं, तो इसका परिणाम हानिकारक हो सकता है. कुछ राज्य सरकारें नीतियों और विनियमों के माध्यम से इस गलत धारणा को और मजबूत करती हैं जो डिस्टिल स्पिरिट के खिलाफ भेदभाव करती हैं और बीयर या वाइन को तवज्जों देती हैं. असल में मायने इस बात के है कि कितनी शराब का सेवन किया जाता है, ना कि इस बात के किस प्रकार की शराब का सेवन किया जाता है.