बरेली : स्कूल में सिख छात्रों के पगड़ी और कृपाण धारण करने पर रोक, बाद में स्कूल प्रशासन ने मांगी माफी

स्कूल में विरोध जताने पहुंची अमनदीप कौर ने बताया कि सिखों की धार्मिक भावना को चोट पहुंचाने की कोशिश स्कूल प्रबंधन के द्वारा किया जा रहा है.उन्होंने कहा कि पहले ऐसी खबरें विदेश से आती थीं, अब हमारे देश में ही पगड़ी, कृपाण, कड़ा और दसतार पहनने पर रोक लगाई जा रही है.

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बरेली के स्कूल में सिख छात्रों की पगड़ी और कृपाण पर रोक लगाने के बाद हुआ हंगामा (प्रतीकात्म फोटो)
बरेली:

ईसाई मिशनरी की ओर से संचालित बरेली के सेंट फ्रांसिस स्कूल ने सिख छात्रों को पगड़ी, कृपाण या कड़ा धारण करने पर रोक लगा दी है. स्कूल प्रबंधन ने चेतावनी दी कि यदि नियम नहीं माना तो स्कूल में पढ़ पाना संभव नहीं होगा. कृपाण आदि धारण करना है तो नाम कटाकर किसी दूसरे स्कूल चले जाएं. मामला सामने आने के बाद बच्चों के अभिभावकों में आक्रोश है. गुरुवार को छात्रों के परिजनों ने स्कूल कैंपस में पहुंचकर विरोध जताया, जिसके बाद स्कूल प्रबंधन ने माफी मांग ली है.

मामला बारादरी थाना क्षेत्र के सेंट फ्रांसिस स्कूल का है. बता दें कि डेलापीर के पास स्थित सेंट फ्रांसिस स्कूल में 12वीं तक पढ़ाई होती है. अभिभावकों ने बताया कि बुधवार को स्कूल की एक शिक्षक ने प्रार्थना सभा के समय कहा कि सभी बच्चे एक जैसी ड्रेस में दिखने चाहिए. जो लोग पगड़ी, कृपाण या कड़ा पहनकर आते हैं, वे भी कल से ऐसा करना बंद कर दें. शिक्षक के सामने कोई छात्र विरोध नहीं कर सका मगर, शाम को परिजनों को इस संबंध में जानकारी दी.

स्कूल में विरोध जताने पहुंची अमनदीप कौर ने बताया कि सिखों की धार्मिक भावना को चोट पहुंचाने की कोशिश स्कूल प्रबंधन के द्वारा किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पहले ऐसी खबरें विदेश से आती थीं, अब हमारे देश में ही पगड़ी, कृपाण, कड़ा और दसतार पहनने पर रोक लगाई जा रही है. अमनदीप कौर ने सीएम योगी से कार्रवाई की मांग की. प्रदर्शनकारियों ने स्कूल प्रशासन से तुगलकी फरमान वापस लेने और माफी मांगने की शर्त रखी है. इसके साथ ही अभिभावकों ने स्कूल की प्रिंसिपल पर अन्य गंभीर आरोप भी लगाए हैं.

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अगर उनकी सुनवाई नहीं होती है तो वह लोग जिलाधिकारी से लेकर डीआईओएस इस घटना को लेकर शिकायत करेंगे और स्कूल की गलत नीतियों के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे. अभिभावकों ने बताया कि प्रिंसिपल सिस्टर लिसमिन किसी भी मंत्री से लेकर नेता व अधिकारी की बात को नहीं मानतीं. डीआईओएस के आदेश भी उनके सामने बेकार है. उनकी बच्ची को प्रताड़ित किया जा रहा है. जबरन उसे कक्षा तीन में पढ़ाने का दबाव बनाया जा रहा है. कोरोना महामारी में भी स्कूल की फीस जमा कराने को लेकर उन को बहुत परेशान किया गया था.

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