सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (Supreme Court Bar Association) ने शनिवार रात को तय किया कि वह 15 मार्च से हाईब्रिड भौतिक सुनवाई शुरू करने संबंधी उच्चतम न्यायालय की मानक संचालन प्रक्रिया को स्वीकार नहीं करेगा. कोविड-19 के कारण मार्च-2020 से वीडियो कांफ्रेंस के जरिए मुकदमों की सुनवाई कर रहे न्यायालय ने शनिवार को एसओपी (SOP) जारी किया.
न्यायालय द्वारा जारी एसओपी के अनुसार, ‘‘प्रायोगिक आधार पर, और एक पायलट योजना के रूप में, मंगलवार, बुधवार और बृहस्पतिवार को सूचीबद्ध अंतिम सुनवाई व नियमित मामलों को ‘हाइब्रिड' तरीके से सुना जा सकता है. इसमें मामले के पक्षों की संख्या और अदालत कक्ष की क्षमता को ध्यान में रखा जाना चाहिए. सोमवार और शुक्रवार को सूचीबद्ध अन्य सभी मामलों को वीडियो / टेली-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुना जाना जारी रहेगा.''
लेकिन सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की विकास सिंह की अध्यक्षता वाली नव-निर्वाचित कार्यकारी समिति हाईब्रिड भौतिक सुनवाई पर न्यायालय के एसओपी से इत्तेफाक नहीं रखती है. उसका कहना है कि न्याय दिलाने की प्रक्रिया में बार (वकीलों का संगठन) भी ‘‘बराबर का हिस्सेदार'' है और इस एकतरफा फैसला करके उनपर थोपा जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव ए कुमार प्रसाद द्वारा जारी प्रस्ताव के अनुसार, ‘‘कार्यकारी समिति ने आम सहमति से फैसला किया है कि वह न्यायालय द्वारा जारी एसओपी और निर्देशों को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि यह बार को विश्वास में लिए बगैर तैयार किए गए हैं, जबकि भारत के प्रधान न्यायाधीश शरद ए. बोब्डे के साथ एक मार्च को हुई बैठक में हमें इसमें सम्मिलित करने का आश्वासन मिला था.''