मणिपुर में कुछ क्षेत्रों को छोड़कर मोबाइल इंटरनेट सेवा पर लगा प्रतिबंध 13 नवंबर तक बढ़ाया गया

राज्य सरकार ने कहा कि मोबाइल इंटरनेट सेवा पर लगा प्रतिबंध बढ़ाने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि ऐसी आशंका है कि कुछ असामाजिक तत्व राज्य में लोगों को उकसाने के लिए तस्वीरों, नफरत भरे भाषणों और वीडियो संदेशों के प्रसारण के लिए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का उपयोग कर सकते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
प्रतीकात्मक तस्वीर

इंफाल: मणिपुर सरकार ने राज्य भर में मोबाइल इंटरनेट सेवा पर लगे प्रतिबंध को पांच दिन और बढ़ाकर 13 नवंबर तक कर दिया है. अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. अधिकारियों के मुताबिक हालांकि, यह प्रतिबंध उन चार पहाड़ी जिला मुख्यालयों में लागू नहीं किया जाएगा जो जातीय हिंसा से प्रभावित नहीं हैं.

राज्य सरकार ने कहा कि मोबाइल इंटरनेट सेवा पर लगा प्रतिबंध बढ़ाने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि ऐसी आशंका है कि कुछ असामाजिक तत्व राज्य में लोगों को उकसाने के लिए तस्वीरों, नफरत भरे भाषणों और वीडियो संदेशों के प्रसारण के लिए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का उपयोग कर सकते हैं. इसके परिणामस्वरूप राज्य में हिंसा भड़क सकती है और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की भी आशंका है.

मणिपुर के गृह विभाग ने एक आदेश में कहा, ‘‘ सोशल मीडिया के जरिए आम जनता के बीच प्रचारित/प्रसारित की जा सकने वाली भड़काऊ सामग्री और अफवाहों के परिणामस्वरूप लोगों की जान को खतरा तथा सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचने के अलावा शांति और सांप्रदायिक सद्भाव व्यापक रूप से बिगड़ने का खतरा है. ''

गृह विभाग ने कहा, ‘‘ राष्ट्र-विरोधी एवं असामाजिक तत्वों के मंसूबों को विफल करने तथा शांति एवं सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए विभिन्न सोशल मीडिया के माध्यम से दुष्प्रचार एवं झूठी अफवाहों के प्रसार को रोककर जनहित में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त उपाय करना आवश्यक हो गया है. ''

मणिपुर में तीन मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद से सितंबर में कुछ दिनों को छोड़कर, मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा हुआ है. राज्य में मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद जातीय हिंसा भड़क गई थी, जिसमें अब तक 180 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

ये भी पढ़ें:- 
राजस्थान के भिवाड़ी में आज देश में सबसे ज्यादा प्रदूषण, जानिए टॉप 10 प्रदूषित शहरों में कौन-कौन से शामिल

Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
iMPower Academy, कमजोर स्किल्स वाले युवाओं को स्किल्स से किया सशक्त | M3M Foundation