मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने आपराधिक मानहानि के एक मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी डी शर्मा के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने के विशेष अदालत के आदेश पर रोक लगा दी है. अदालत ने कहा कि दोनों नेता आगामी लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और उसमें व्यस्त हैं. यहां की विशेष अदालत ने मंगलवार को कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में ‘वचन पत्र' प्रस्तुत नहीं करने के लिए चौहान और शर्मा के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था.
न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने बुधवार को अंतरिम उपाय के रूप में, 22 मार्च और दो अप्रैल के विवादित आदेशों पर रोक लगाने का निर्देश दिया और यह भी निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ जारी किए जाने वाले वारंट सुनवाई की अगली तारीख तक जारी नहीं किए जाएंगे.
विधायकों से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली अपनी याचिका में याचिकाकर्ता शर्मा, चौहान और पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि वे सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ नेता हैं.
अदालत ने इस बात पर गौर किया कि वे अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों से संसदीय चुनाव भी लड़ रहे हैं क्योंकि उन्हें पार्टी द्वारा चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार घोषित किया गया है. अदालत ने इस पर भी गौर किया कि वे अपनी उम्मीदवारी (नामांकन पत्र) दाखिल करने की आवश्यकताओं को पूरा करने में बहुत व्यस्त हैं और इसी कारण से वे न्यायालय के समक्ष अपना व्यक्तिगत वचन पत्र प्रस्तुत नहीं कर सके.
याचिका का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा, ‘‘उनका कहना है कि याचिकाकर्ताओं के मन में अदालत के आदेश के प्रति पूरा सम्मान है और वे इसका पालन करेंगे और निर्देश मिलने पर अदालत के समक्ष उपस्थित होंगे.''
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस तथ्य को देखते हुए कि याचिकाकर्ता संख्या एक और दो, लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और उनके निर्वाचन क्षेत्र जबलपुर न्यायालय से बहुत दूर हैं और जब वकील ने उपस्थित होकर वचन पत्र प्राप्त करने में असमर्थता दिखाते हुए एक अर्जी दायर की है तो याचिकाकर्ताओं को अपना वचन पत्र प्रस्तुत करने से छूट दी जा सकती है.
22 मार्च को, विशेष अदालत ने शर्मा, चौहान और सिंह को मामले में सात जून तक व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी थी. हालांकि, दो अप्रैल को विशेष अदालत ने हलफनामा नहीं देने पर भाजपा नेताओं के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया था.
अदालत उनसे कुछ वचन पत्र प्रस्तुत करने को भी कहा लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि किस प्रकार के उपक्रम प्रस्तुत किए जाने थे. इसके बाद भाजपा नेताओं ने स्पष्टीकरण मांगने के लिए मंगलवार को अदालत का रुख किया.
मंगलवार का अदालती आदेश अभी उपलब्ध नहीं है. पिछले साल 19 जनवरी को विशेष अदालत ने कांग्रेस नेता तन्खा की शिकायत पर प्रथम दृष्टया मुकदमे के लिए पर्याप्त सबूत पाते हुए भाजपा नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था.
तन्खा ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं ने गलत दावा करके उनकी छवि खराब की है कि वह राज्य में 2021 के पंचायत चुनावों में ओबीसी कोटा से संबंधित उच्चतम न्यायालय के एक मामले में शामिल थे.
उन्होंने शर्मा, चौहान और सिंह के खिलाफ नागरिक मानहानि का मुकदमा भी दायर किया है और 10 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है.
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