अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक समुदाय कर्मचारी महासंघ (BAMCEF) ने जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर बुधवार को भारत बंद का आह्वान किया है. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की गणना नहीं कराने के केंद्र के फैसले के विरोध में हड़ताल का आह्वान किया गया है. फेडरेशन निजी क्षेत्र में भी एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों के लिए आरक्षण की भी मांग कर रहा है. इसके अलावा, बामसेफ चुनावों के दौरान ईवीएम के इस्तेमाल और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के मुद्दे के खिलाफ भी अपनी आवाज बुलंद कर रहा है.
इन मांगों के अलावा फेडरेशन की मांग है कि ओडिशा और मध्य प्रदेश में पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण में एक अलग इलेक्टोरेट का गठन हो, पुरानी पेंशन योजना फिर से शुरू हो, श्रम अधिकारों की सुरक्षा हो और आदिवासियों का विस्थापित नहीं किया जाए. बामसेफ ने किसानों के लिए निश्चित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की भी मांग की.
कई पार्टियां कर रही हैं मांग
गौरतलब है कि केंद्र में नेतृत्व संभाल रही बीजेपी की सहयोगी जनता दल-यूनाइटेड समेत कई पार्टियां देश में जाति आधारित जनगणना की मांग कर रही हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि जातिगत जनगणना हो जाने से सरकार को सभी समाज के लोगों के लिए काम करने में सहूलियत हो जाएगी. संख्या पता चल जाने के बाद विकास योजना बनाने में मदद मिलेगी.
बीते दिनों नीतीश कुमार ने कहा था, "हम इसे (जातिगत जनगणना) जल्द ही शुरू करेंगे और यह भी सुनिश्चित करेंगे कि इसे ठीक से किया जाए. एक बार जाति आधारित जनगणना हो जाने के बाद, सरकार सभी समाज के विकास के लिए काम कर सकती है."
हालांकि, इससे पहले, लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि भारत सरकार ने नीति के रूप में "एससी और एसटी के अलावा अन्य जाति-वार आबादी की गणना नहीं करने का निर्णय लिया है."
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