मणिपुर में बुरा समय बीत गया, राज्य बेहतर वक्त की ओर बढ़ रहा : असम राइफल्स के डीजी

पक्षपात के आरोपों पर असम राइफल्स के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल पीसी नायर ने कहा कि देश का सबसे पुराना अर्धसैनिक बल निष्पक्ष बना रहा है, इसने चार माह में मणिपुर में बंकर तबाह किए, हथियार जब्त किए तथा दोनों पक्ष के निर्दोष लोगों को बचाया

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मणिपुर में अशांति के हालत को काबू करने के लिए असम राइफल्स के जवान तैनात हैं.
शिलांग:

असम राइफल्स के महानिदेशक, लेफ्टिनेंट जनरल पीसी नायर ने शुक्रवार को कहा कि मणिपुर में बुरा वक्त बीत चुका है और हिंसा प्रभावित यह राज्य ‘‘बेहतर वक्त की ओर बढ़ रहा है.'' लेफ्टिनेंट जनरल नायर ने कहा कि कुछ इलाकों से हिंसा की छिटपुट घटनाओं की सूचनाएं हैं लेकिन पूर्वोत्तर का यह राज्य अब शांति की ओर बढ़ रहा है.

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा' के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘अगर संक्षेप में कहें तो बुरा वक्त बीत चुका है. गोलीबारी और हत्या की इक्का दुक्का घटनाएं हो रही हैं, धीरे-धीरे ये भी कम हो जाएंगी और हम बेहतर वक्त की ओर बढ़ रहे हैं.''

पक्षपात के आरोपों की पृष्ठभूमि में नायर ने कहा कि देश का सबसे पुराना अर्धसैनिक बल निष्पक्ष बना रहा है और उसने पिछले चार माह में मणिपुर में बंकर तबाह किए, हथियार जब्त किए तथा दोनों पक्ष के निर्दोष लोगों को बचाया.

ऐसे आरोप लग रहे हैं कि असम राइफल्स मणिपुर में जारी हिंसा में एक खास समुदाय के प्रति पक्षपाती है और इसके बीच लेफ्टिनेंट जनरल नायर का यह बयान आया है.

दोनों पक्षों के लोगों को बचाया

उन्होंने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा' से कहा,‘‘हम पक्षपाती नहीं हैं और मैं ये एकदम स्पष्ट कर देना चाहता हूं. अगर हमें बंकर दिखते हैं तो हम उन्हें नष्ट कर देते हैं. हमने दोनों समुदायों से बराबर की संख्या में हथियार बरामद किए, इसी प्रकार दोनों पक्षों के लोगों को बचाया.''

उन्होंने कहा,‘‘हम किसी एक समुदाय के साथ पक्षपात क्यों करेंगे? हमारे बल में दोनों समुदाय से सैनिक हैं और उनके बीच किसी प्रकार के द्वेष का मुद्दा हमारे सामने कभी नहीं आया. यह सेना और असम राइफल्स के शीर्ष नेतृत्व के बारे में स्पष्ट तस्वीर पेश करता है.

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सेना के साथ हम निष्पक्ष भूमिका निभा रहे

लेफ्टिनेंट जनरल नायर ने कहा, ‘‘ये अधिकारी शांति सुनिश्चित करने के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं, कर रहे हैं.'' उन्होंने कहा, ‘‘सेना के साथ हम (असम रायफल्स) यहां निष्पक्ष भूमिका निभा रहे हैं.'' साथ ही नायर ने कहा कि उनका बल हिंसा पर लगाम लगाने तथा हत्याओं, गोलीबारी तथा घरों में आग लगाने की घटनाओं को रोकने की कोशिश कर रहा है.''

लेफ्टिनेंट जनरल नायर ने कहा कि पिछले 120 दिन में जिन 212 स्थानों पर हिंसक घटनाएं हुई थीं, वहां बल ने अधिकतर स्थानों में शांति बहाल कर ली है. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में वर्तमान अशांति 90 के दशक में नगा उग्रवाद के चरम के दौरान हुई हिंसा से काफी कम है.

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भीड़ के घेरने, महिलाओें के सड़क जाम करने से नई चुनौती

असम रायफल्स के डीजी ने कहा कि ऐसे स्थानों पर अभियान चलाना नई चुनौतियां है जहां भीड़ बलों को घेर लेती है और महिलाएं सड़क जाम करती हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो यह हमारे लिए पूरी तरह से नए हालात हैं. बल का प्रमुख होने के नाते मैं आपको बता सकता हूं कि मैंने इस प्रकार के हालात का सामना पहले कभी नहीं किया.''

डीजी ने कहा कि असम रायफल्स की तीन भूमिकाएं हैं-सीमा की रक्षा, उग्रवाद निरोधक अभियान और पारंपरिक अभियान चलाना. लेफ्टिनेंट जनरल नायर ने कहा कि हिंसा प्रभावित राज्य में शांति तथा स्थिरता लाने के लिए स्थानीय लोगों को एक-दूसरे से बातचीत करने की जरूरत है.

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यह पूछे जाने पर कि ऐसा होने में कितना वक्त लगेगा लेफ्टिनेंट जनरल नायर ने कहा,‘‘यह ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर कोई नहीं दे पाएगा. यह स्थानीय लोगों पर निर्भर करता है (मणिपुर के).''

सुरक्षा बल समस्या को हल नहीं कर सकते

उन्होंने कहा, ‘‘अगर स्पष्ट कहूं तो सुरक्षा बल समस्या को हल नहीं कर सकते. हम यहां हिंसा का स्तर कम करने के लिए हैं. हम यहां होने वाली गोलीबारी रोकने के लिए हैं.'' उन्होंने कहा,‘‘ असम रायफल्स और सेना बड़ी भूमिका निभा रही है. हम नागरिक समाज से जुड़े संगठनों, युवाओं और विभिन्न पक्षकारों से बातचीत कर रहे हैं...''

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नायर ने यह भी कहा कि कुछ इलाकों में जहां घाटी समाप्त होती है और पहाड़ प्रारंभ होते हैं और जहां दोनों समुदाय के लोग रहते हैं, वहां हिंसा की छिटपुट घटनाएं हो रही हैं.

बल के जवानों ने हिंसा प्रभावित 45,000 लोगों को मदद दी

सुरक्षा बलों की गतिविधियों को रेखांकित करते हुए नायर ने कहा कि 100 से अधिक राहत शिविर बनाए गए हैं. बल के जवानों ने हिंसा प्रभावित 45,000 लोगों को मदद दी है तथा 12,000 को चिकित्सकीय देखभाल, दवाएं आदि मुहैया कराई हैं.

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

राज्य की आबादी में मेइती समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और उनमें से ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

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