NDTV Exclusive इंटरव्यू: तो ब्राह्मणों को अपनी दुकान बंद कर लेनी चाहिए.... कथावाचक विवाद पर जानें क्या बोले बाबा रामदेव

बाबा रामदेव ने  कहा, शूद्र का मतलब अछूत नहीं होता है. हम सबका डीएनए एक है. गुण कर्म के आधार पर भेदभाव ठीक नहीं है. पक्षपात पूर्ण बात करना ठीक नहीं है. हम सभी अंदर से एक ही ब्रह्माण हैं. मेरे अंदर भी सभी वर्ण हैं और इस वजह से भगवान की दुनिया में भेदभाव करना ठीक नहीं है. 

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  • बाबा रामदेव ने एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में कई मुद्दों पर अपनी राय रखी
  • कथावाचक मुकुट मणि यादव के साथ मारपीट की घटना पर टिप्पणी की
  • शूद्र का मतलब अछूत नहीं, भेदभाव गलत है, ऐसा कहा
  • उन्होंने कहा, सभी वर्गों को अपनी योग्यता के अनुसार काम करना चाहिए
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नई दिल्ली:

बाबा रामदेव ने NDTV इंडिया को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में इटावा कथा वाचक विवाद से लेकर शेफाली जरीवाला की मौत के बाद एंटी ऐजिंग ट्रीटमेंट पर उठ रहे सवालों समेत कई मुद्दों पर बेबाक जवाब दिए. रामदेव ने कथा वाचक मुद्दे को ब्राह्मण बनाम यादव बना रहे नेताओं और संतों को खूब सुनाया. बाबा बागेश्वर के बयान पर भी उन्होंने नाराजगी जताई और कहा कि वह फोन कर उनसे इस मुद्दे पर बात करेंगे. बाबा रामदेव ने कहा कि भारतवंशियों का डीएनए एक है. हमारा संविधान और वेद भी यह बात कहते हैं. जो भेद का बीज डालते हैं, वे वेद का मर्म नहीं जानते हैं. शूद्र का मतलब अछूत नहीं है. किसी ने मुझसे पूछा कि आप क्या हैं. मैंने कहा मैं फोर इन वन हूं. जानिए रामदेव ने इंटरव्यू में क्या कुछ कहा... 

विचित्र बात है. कुछ लोग कह रहे हैं कि ब्राह्मण सर्वश्रेष्ठ होते हैं और जबकि पूजते हैं क्षत्रिय को. भगवान राम और श्री कृष्ण को पूजते हैं. ब्राह्मण भी सर्वश्रेष्ठ हैं, मैं भी यह कहता हूं. क्षत्रिय और वैश्य और शूद्र भी सर्वश्रेष्ठ हैं. लेकिन सभी अपने कर्म से महान हैं. दंभ से कोई श्रेष्ठ नहीं होता है. आचरण से होता है.

'तो ब्राह्मणों को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए'  

सब जगह अतिक्रमण है. जो लोग ऐसी बातें करते हैं कि ब्राह्मणों का काम ब्राह्मणों को करना चाहिए, उसमें किसी का हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. इसका यह हुआ कि जितने भी ब्राह्मण हैं उन्हें वार्ड मेंबर, एमएलए, एमपी, सीएम, पीएम आदि कुछ भी नहीं बनने का संकल्प ले लेना चाहिए. हम तो कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे, राजनीति में नहीं आएंगे. अपनी सब दुकानें और फैक्ट्रियां बंद कर लेनी चाहिए. अपनी खेत-बाड़ी किसानों को दे देनी चाहिए कि कृषि कर्म वैश्यों का है. आज ब्राह्मण सब कार्य कर रहा है. क्षत्रिय भी सब काम कर रहे हैं. हमारे यहां तो कई ऐसे मठ हैं जहां क्षत्रिय, जाट, गुर्जर, ओबीसी पुजारी होता है. तो क्षत्रिय भी सब काम कर रहा है. ब्राह्मण कार्य भी कर रहे हैं. वैश्य कार्य भी कर रहा है. सेवा कार्य कर रहे हैं. ऐसे ही वैश्य भी सारे काम कर रहे हैं. ब्रिगेडियर हैं. सेना अध्यक्ष भी बने हैं. शूद्र का मतलब अछूत नहीं है. किसी ने मुझसे पूछा कि आप क्या हैं. मैंने कहा मैं फोर इन वन हूं.

शूद्र का मतलब अछूत नहीं

इस पर बात करते हुए बाबा रामदेव ने कहा, "शूद्र का मतलब अछूत नहीं होता है. हम सबका डीएनए एक है. गुण कर्म के आधार पर भेदभाव ठीक नहीं है. पक्षपात पूर्ण बात करना ठीक नहीं है. हम सभी अंदर से एक ही ब्रह्माण हैं. मेरे अंदर भी सभी वर्ण हैं और इस वजह से भगवान की दुनिया में भेदभाव करना ठीक नहीं है". 

कई संत बहकी बहकी बातें कर रहे हैं. सभी मनुष्यों में एक आत्मा और ब्रह्म का वास है. यह भेद कहां से आ गया? यह ऊंच-नीच कहां से आ गया? सबको चलाने और अपने अंदर समाने वाला ईश्वर एक है. सनातन के नाम पर जो बखेड़ा कर रहे हैं, उनसे मेरी हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि जरा शास्त्र पढ़ और समझ लें.

हमारे पूर्वज, धरती मां, प्रकृति मां एक हैं

उन्होंने कहा, "मैं पूछता हूं, हम जिस युग में हैं... उसी युग में घोर पक्षपातपूर्ण बातें करना और अन्यायपूर्ण बात करना... हम सभी का डीएनए एक है. हमारे पूर्वज एक, धरती माता एक, प्रकृति माता एक, भारत माता एक... तो ऐसे में भेदभाव कैसा है. आदमी में जो ऊंच-नीच दिख रहा है वो गुण, कर्म, स्वभाव के आधार पर देखने को मिलता है". 

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मैं बहुत दुख के साथ इस बात को कह रहा हूं कि हमारे बागेश्वर वाले बाबा जी सारे हिंदू समाज को जोड़ने की बात करते हैं. वह भी कथावाचक मामले में झूठी बातों को लेकर टीका-टिप्पणी करने लग गए. मैं उनको भी फोन करूंगा.

ब्राह्मण बनाम यादव विवाद पर

  • सबका डीएनए एक होता है.
  • हमारा संविधान और वेद भी यह बात कहता है. 
  • जो भेद का बीज डालते हैं, वे वेद का मर्म नहीं जानते हैं.      
  • शूद्र का मतलब अछूत नहीं है. किसी ने मुझसे पूछा कि आप क्या हैं. मैंने कहा मैं फोर इन वन हूं. 
  • कथावाचक वाले मामले पर दसियों प्रकार के झूठ चल रहे हैं
  • इस हिसाब से तो ब्राह्मणों को भी अपनी दुकानें बंद कर लेनी चाहिए.

ऐसे तो ब्राह्मण को राजनीति, कृषि आदि काम छोड़ देने चाहिए

बाबा रामदेव ने कहा, "सब जगह अतिक्रमण है और जो ऐसी बातें करते हैं कि ब्राह्मण का काम ब्राह्मण को करना चाहिए तो उन्हें संकल्प ले लेना चाहिए कि वो न ही राजनीति में जाएंगे और न ही अपने खेत चलाएंगे क्योंकि खेत जोतना वैश्यों का है... तो आज ब्राह्मण अपनी क्षमता और योग्यता के आधार पर काम कर रहे हैं. वैसे ही क्षत्रिय भी सब कार्य कर रहा है और जो वैश्य हैं वो भी सब कार्य कर रहे हैं." 

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रामदेव बाबा ने कहा, "मैं सन्यासी हूं"

उन्होंने कहा, शूद्र का मतलब अछूत नहीं है. यह न संवैधानिक दृष्टि से उचित है और न ही वैदिक दृष्टि से उचित है. जब उनसे पूछा गया कि वह खुद एक यादव हैं तो क्या वह ये बात यादव होने के नाते कह रहे हैं तो इस पर बाबा रामदेव ने कहा, "मैं सन्यासी हूं और आज कोई न कोई किसी न किसी वंश में पैदा हुए हैं. वहीं आध्यात्म की दृष्टि क्या है यह मायने रखती है. मैं अपने भीतर ही राम, कृष्ण, शिव और हनुमान को देखता हूं."

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