- बाबा रामदेव ने एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में कई मुद्दों पर अपनी राय रखी
- कथावाचक मुकुट मणि यादव के साथ मारपीट की घटना पर टिप्पणी की
- शूद्र का मतलब अछूत नहीं, भेदभाव गलत है, ऐसा कहा
- उन्होंने कहा, सभी वर्गों को अपनी योग्यता के अनुसार काम करना चाहिए
बाबा रामदेव ने NDTV इंडिया को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में इटावा कथा वाचक विवाद से लेकर शेफाली जरीवाला की मौत के बाद एंटी ऐजिंग ट्रीटमेंट पर उठ रहे सवालों समेत कई मुद्दों पर बेबाक जवाब दिए. रामदेव ने कथा वाचक मुद्दे को ब्राह्मण बनाम यादव बना रहे नेताओं और संतों को खूब सुनाया. बाबा बागेश्वर के बयान पर भी उन्होंने नाराजगी जताई और कहा कि वह फोन कर उनसे इस मुद्दे पर बात करेंगे. बाबा रामदेव ने कहा कि भारतवंशियों का डीएनए एक है. हमारा संविधान और वेद भी यह बात कहते हैं. जो भेद का बीज डालते हैं, वे वेद का मर्म नहीं जानते हैं. शूद्र का मतलब अछूत नहीं है. किसी ने मुझसे पूछा कि आप क्या हैं. मैंने कहा मैं फोर इन वन हूं. जानिए रामदेव ने इंटरव्यू में क्या कुछ कहा...
'तो ब्राह्मणों को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए'
शूद्र का मतलब अछूत नहीं
इस पर बात करते हुए बाबा रामदेव ने कहा, "शूद्र का मतलब अछूत नहीं होता है. हम सबका डीएनए एक है. गुण कर्म के आधार पर भेदभाव ठीक नहीं है. पक्षपात पूर्ण बात करना ठीक नहीं है. हम सभी अंदर से एक ही ब्रह्माण हैं. मेरे अंदर भी सभी वर्ण हैं और इस वजह से भगवान की दुनिया में भेदभाव करना ठीक नहीं है".
हमारे पूर्वज, धरती मां, प्रकृति मां एक हैं
उन्होंने कहा, "मैं पूछता हूं, हम जिस युग में हैं... उसी युग में घोर पक्षपातपूर्ण बातें करना और अन्यायपूर्ण बात करना... हम सभी का डीएनए एक है. हमारे पूर्वज एक, धरती माता एक, प्रकृति माता एक, भारत माता एक... तो ऐसे में भेदभाव कैसा है. आदमी में जो ऊंच-नीच दिख रहा है वो गुण, कर्म, स्वभाव के आधार पर देखने को मिलता है".
ब्राह्मण बनाम यादव विवाद पर
- सबका डीएनए एक होता है.
- हमारा संविधान और वेद भी यह बात कहता है.
- जो भेद का बीज डालते हैं, वे वेद का मर्म नहीं जानते हैं.
- शूद्र का मतलब अछूत नहीं है. किसी ने मुझसे पूछा कि आप क्या हैं. मैंने कहा मैं फोर इन वन हूं.
- कथावाचक वाले मामले पर दसियों प्रकार के झूठ चल रहे हैं
- इस हिसाब से तो ब्राह्मणों को भी अपनी दुकानें बंद कर लेनी चाहिए.
ऐसे तो ब्राह्मण को राजनीति, कृषि आदि काम छोड़ देने चाहिए
बाबा रामदेव ने कहा, "सब जगह अतिक्रमण है और जो ऐसी बातें करते हैं कि ब्राह्मण का काम ब्राह्मण को करना चाहिए तो उन्हें संकल्प ले लेना चाहिए कि वो न ही राजनीति में जाएंगे और न ही अपने खेत चलाएंगे क्योंकि खेत जोतना वैश्यों का है... तो आज ब्राह्मण अपनी क्षमता और योग्यता के आधार पर काम कर रहे हैं. वैसे ही क्षत्रिय भी सब कार्य कर रहा है और जो वैश्य हैं वो भी सब कार्य कर रहे हैं."
रामदेव बाबा ने कहा, "मैं सन्यासी हूं"
उन्होंने कहा, शूद्र का मतलब अछूत नहीं है. यह न संवैधानिक दृष्टि से उचित है और न ही वैदिक दृष्टि से उचित है. जब उनसे पूछा गया कि वह खुद एक यादव हैं तो क्या वह ये बात यादव होने के नाते कह रहे हैं तो इस पर बाबा रामदेव ने कहा, "मैं सन्यासी हूं और आज कोई न कोई किसी न किसी वंश में पैदा हुए हैं. वहीं आध्यात्म की दृष्टि क्या है यह मायने रखती है. मैं अपने भीतर ही राम, कृष्ण, शिव और हनुमान को देखता हूं."