मुगल शासक औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर महाराष्ट्र में सियासत गरमाई हुई है. औरंगजेब की कब्र के मुद्दे पर विश्व हिन्दू परिषद (VHP) और बजरंग दल ने आज पूरे राज्य में आंदोलन का ऐलान किया है. VHP और बजरंग दल ने धमकी दी है कि अगर कब्र हटाने में देरी हुई तो वे 'कारसेवा' करेंगे. हालातों को देखते हुए कब्र के पास स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स को तैनात किया गया है. औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग पर महाराष्ट्र-गोवा विश्व हिंदू परिषद क्षेत्र प्रमुख गोविंद शेंडे ने रविवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात की. उन्होंने कहा कि कुछ लोग औरंगजेब की तारीफ करने में लगे हैं. मैं कहना चाहता हूं कि वह देश का आइकन नहीं हो सकता है. औरंगजेब ने देश पर बहुत अत्याचार किया. हिन्दुओं पर अत्याचार किया. अपने पिता के साथ अत्याचार किया. ऐसे क्रूर व्यक्ति को कोई भी चिन्ह इस भारत में अब सहन नहीं किया जाएगा. इसलिए हम सरकार से अपील कर रहे हैं कि हिन्दुओं की भावना को समझते हुए औरंगजेब की कब्र को वहां से हटाए.
- महाराष्ट्र विधानसभा के चालू बजट सत्र में महायुति विधायकों ने सामूहिक रूप से औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग उठाई थी. बता दें पहले महाराष्ट्र सरकार ने औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर कर दिया था.
- सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इस मांग का समर्थन भी किया है, लेकिन वो ये भी कहते हैं कि वो कब्र ASI के संरक्षण में है.
- अब विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने भी यही मांग उठाई है. दोनों हिंदू संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर वह कानूनी तरीके से कब्र को हटाने में असमर्थ है तो वे कारसेवा करेंगे.
- जिला प्रशासन ने औरंगजेब की कब्र की सुरक्षा बढ़ा दी है. साथ ही हिंदूवादी नेता मिलिंद एकबोटे को छत्रपति संभाजीनगर में 16 मार्च से 5 अप्रैल तक प्रवेश करने से बैन कर दिया गया है.
- कानून-व्यवस्था को देखते हुए ये फैसला लिया गया है. क्योंकि प्रशासन को खुफिया सूचना मिली थी कि एकबोटे और उनके समर्थक खुलदाबाद में औरंगजेब की कब्र हटाने के लिए आ सकते हैं.
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चरणबद्ध तरीके से होगा आंदोलन
औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर उन्होंने आगे कहा कि आंदोलन को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जाएगा, जिसकी शुरुआत जनजागृति पहल से होगी. इसमें विरोध प्रदर्शन, ज्ञापन, पुतला दहन, बैठकें और जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं. अंतिम चरण चलो संभाजीनगर मार्च होगा. इस बीच सरकार के पास पर्याप्त समय होगा कि वह चिंतन करे और मंथन करे.
विपक्ष नहीं चाहता कब्र हटाई जाए
वहीं विपक्ष का इस मुद्दे पर अलग ही रुख है. वे नहीं चाहता कि कब्र हटाई जाए, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह छत्रपति शिवाजी महाराज की औरंगजेब पर जीत का प्रतीक है. इसके अलावा, उन्होंने विश्व हिंदू परिषद और बजरंग द्वारा दिए गए अल्टीमेटम की भी आलोचना की. विपक्ष के अनुसार इससे समाज में तनाव ही पैदा होगा और सरकार से उनके खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया.
उद्धव ठाकरे की शिवसेना के नेता आनंद दुबे ने केंद्र सरकार पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, कब्र को सुरक्षा देने वाला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण केंद्र सरकार के अधीन है. उन्हें कार्रवाई करने से कौन रोक रहा है?
बता दें कि 15 मार्च को विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट किया था. विनोद बंसल ने पोस्ट में लिखा, "आगामी सोमवार 17 मार्च को छत्रपति शिवाजी महाराज की पावन जयंती है. उन्होंने हिंदवी स्वराज्य व उसकी रक्षा हेतु अपनी तीन पीढ़ियां लगा दीं और आतंकी मुगलों को नाकों चने चबा दिए. देश के स्व की पुन: स्थापना तथा पराधीनता के चिन्हों और पराधीन मानसिकता का पराभव अब होना ही चाहिए. औरंगजेब के बाद अब उसकी कब्र की समाप्ति का समय भी आ रहा है. विहिप व बजरंग दल के कार्यकर्ता उस दिन संपूर्ण महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को हटाने हेतु प्रदर्शन कर स्थानीय जिलाधीश के माध्यम से सरकार को ज्ञापन देकर कहेंगे कि शिवाजी महाराज की पावन धरा से औरंगजेब की कब्र और औरंगजेबी मानसिकता का समूल नाश हो.