मुगल बादशाह औरंगजेब को लेकर वाराणसी के इस मोहल्‍ले में क्यों खड़ा हुआ विवाद?

विश्व वैदिक सनातन न्यास ने वाराणसी के औरंगाबाद इलाके का नाम बदलने की मांग की है. कुछ स्‍थानीय लोगों का भी इसे समर्थन मिल रहा है.

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वाराणसी के औरंगाबाद में रहने वाले कई लोगों ने इलाके का नाम बदलने की मांग का समर्थन किया है.
वाराणसी:

महाराष्‍ट्र के बाद उत्तर प्रदेश में भी औरंगजेब को लेकर के विवाद शुरू हो गया है. प्रदेश के वाराणसी में औरंगजेब के नाम पर बसे एक मोहल्‍ले का नाम बदलने की मांग तेज हो गई है. वाराणसी शहर के बीचों बीच बसे औरंगाबाद का नाम बदलने की मांग विश्व सनातन वैदिक न्यास ने की है. इसे लेकर शहर के मेयर और आयुक्‍त को नाम बदलने के लिए ज्ञापन सौंपा गया है.  

स्‍थानीय लोगों के मुताबिक, करीब साढ़े तीन सौ साल पहले मुगल बादशाह औरंगजेब वाराणसी आया था और यहां के एक इलाके में उसने अपनी छावनी बनाई थी. मुगल शासक ने जिस इलाके में डेरा डाला था, उस इलाके का नाम औरंगजेब के नाम पर औरंगाबाद कर दिया गया था. दावा ये भी है कि इस इलाके का नाम पहले शिवा नगर हुआ करता था, लेकिन मुगलों के नामकरण के बाद से इस इलाके को अब तक औरंगाबाद ही कहा जाता है. 

मेयर और आयुक्‍त के नाम दिया ज्ञापन

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान दिया था कि मुगल आक्रांताओं के अत्याचार के प्रतीक मिटने चाहिए. सीएम के इस बयान के बाद वाराणसी में विश्व वैदिक सनातन न्यास ने औरंगाबाद का नाम बदलने की मांग कर दी. 

विश्‍व वैदिक सनातन न्‍यास के अध्‍यक्ष संतोष सिंह ने कहा कि वाराणसी एक आध्‍यात्मिक नगरी है और इस नगरी में औरंगजेब के नाम पर एक मोहल्‍ले का नाम औरंगाबाद है. उन्‍होंने कहा कि इस नाम को हटाकर के कोई भी सनातन नाम रखा जाए. 

उन्‍होंने कहा कि औरंगाबाद विदेशी आक्रमणकर्ता के नाम पर रखा हुआ नाम है. इस नाम को बदलने के लिए और स्‍वतंत्र भारत में ऐतिहासिक कलंकों को हटाने के लिए शहर के मेयर और नगर आयुक्त को औरंगाबाद का नाम बदलने के लिए ज्ञापन दिया गया है. 

इस ज्ञापन की एक प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी भेजे जाने का दावा किया गया है. पीएम मोदी वाराणसी से सांसद भी हैं. हालांकि अभी शहर के मेयर और नगर निगम ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है.  

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कई स्‍थानीय लोगों ने किया मांग का समर्थन

औरंगाबाद क्षेत्र में रहने वाले कई लोगों ने इस मांग का समर्थन किया है. कई निवासियों ने कहा कि औरंगाबाद नाम औरंगजेब के नाम पर रखा गया था, जो एक अत्याचारी था. इस लिए औरंगाबाद का नाम अब बदलना चाहिए.  

वाराणसी शहर के कैंट विधानसभा के विधायक सौरभ श्रीवास्तव इस मामले में कहते हैं कि जनभावना का सम्मान किया जाएगा, जो जनता चाहेगी वही होगा.  

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फिलहाल औरंगजेब के नाम पर जारी राजनीति के बीच वाराणसी में मोहल्‍ले का नाम बदलने की मांग से एक और विवाद खड़ा होता दिखाई दे रहा है. अब नाम बदलेगा या नहीं, ये तो भविष्य बताएगा लेकिन वर्तमान में इस विवाद में एक कड़ी और जुड़ चुकी है.  

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