अतुल सुभाष सुसाइड केस : एक फोन कॉल से बेंगलुरु पुलिस ने निकिता सिंघानिया और उसके परिवार को किया ट्रैक

निकिता सिंघानिया गुरुग्राम में एक पीजी आवास में चली गईं, जबकि उनकी मां और भाई उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के झूसी शहर में छिप गए

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निकिता सिंघानिया, उनकी मां और भाई फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं
नई दिल्ली:

आईटी इंजीनियर अतुल सुभाष की अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया हर दिन अपना ठिकाना बदलती रहती थीं और वह सिर्फ व्हॉट्सएप पर ही कॉल करती थीं और अतुल के परिवार द्वारा उसके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किए जाने के बाद से वह लगातार अग्रिम जमानत हासिल करने की कोशिश कर रही थी लेकिन एक फोन कॉल की मदद से पुलिस ने उसका पता लगा लिया. 

एक ओर जहां निकिता को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया है तो वहीं उसकी मां निशा सिंघानिया और उसके भाई अनुराग सिंघानिया को प्रयागराज से कस्टडी में लिया गया. निकिता के अंकल सुशील सिंघानिया फिलहाल भाग रहे हैं. वह अतुल सुभाष के आत्महत्या मामले के चौथे आरोपी हैं. मामले में गिरफ्तार सभी आरोपियों को दो हफ्तों के लिए पुलिस कस्टडी में रखा गया है. 

पुलिस सूत्रों के मुताबिक बेंगलुरु पुलिस द्वारा सभी के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने के कुछ वक्त बाद ही आरोपियों ने उत्तर प्रदेश के जॉनपुर में अपना घर लॉक कर दिया था. जब बेंगलुरु पुलिस जॉनपुर में उनके घर पहुंची तो उन्होंने वहां एक नोटिस लगाया, जिसमें लिखा गया था कि उन्हें तीन दिन के अंदर उपस्थित होना है. इसके साथ ही टीम ने परिवार के करीबी रिश्तेदारों की भी एक सूची बनाई और मॉनिटर करना शुरू किया. लेकिन सूत्रों ने बताया कि आरोपी केवल व्हॉट्सएप पर कॉल कर रहे थे, जिस वजह से उन्हें ट्रैक कर पाना मुश्किल हो रहा था. इसी बीच सिंघानिया इलाहाबाद हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत लेने पहुंचे.

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एक कॉल, एक गलती

एक ओर जहां निकिता गुरुग्राम में पीजी में शिफ्ट हो गई तो वहीं उसकी मां और बाई उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में झुसी में छिप गए. इस दौरान उन्होंने अपने रिश्तेदारों से व्हॉट्सएप कॉल पर ही बात की लेकिन निकिता ने एक कॉल किया और वो भी उसने गलती से किया था. यह कॉल उसने अपने एक करीबी रिश्तेदार को किया था. पुलिस ने इस कॉल से लॉकेशन ट्रैक की और गुरुग्राम के रेल विहार में उसे पीजी पर पहुंच गई. उसे यहां से पकड़ा गया और उसकी मां को फोन करने के लिए कहा गया. जब निशा ने कॉल उठाया तो पुलिस ने झुसी में उनकी लॉकेशन भी ट्रैक कर ली और उन्हें हिरासत में ले लिया. 

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हालांकि, अभी भी पुलिस के सामने एक बड़ा सवाल है कि अतुल का चार साल का बेटा कहां रहेगा? बच्चे को परिवार के एक रिश्तेदार को सौंप दिया गया है. पुलिस ने बेंगलुरु ले जाते वक्त आरोपी के बयान भी दर्ज किए हैं. 

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सतर्कता के साथ ली लेट नाइट फ्लाइट

पुलिस सूत्रों ने बताया कि इसमें एक मुख्य चैलेंज ये था कि साथ में ट्रैवल कर रहे लोगों को निकिता की पहचान के बारे में पता न चले. इस वजह से तीनों आरोपियों को बेंगलुरु की लेट नाइट फ्लाइट से लाया गया. पुलिस सूत्रों ने बताया कि इस बात का ध्यान रखा गया था टीम के बेंगलुरु पहुंचने से पहले तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किए जाने की बात सामने न आए. इसका कारण अतुल सुभाष की आत्महत्या से हुए आउटरेज था. निकिता या फिर उसके परिवार को बेंगलुरु लाने की खबर से परिस्थिति खराब हो सकती थी. बेंगलुरु पहुंचने के बाद निकिता, उसकी मां निशा और बाई अनुराग को मेडिकल एग्जामिनेशन के लिए ले जाया गया और फिर मजिस्ट्रेट के घर ले जाया गया. इसके बाद उन्हें हिरासत में भेज दिया गया. 

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निकिता ने पुलिस से कही ये बात 

पुलिस सूत्रों के मुताबिक निकिता ने पूछताछ के दौरान कहा कि उसने कभी अतुल को परेशान नहीं किया बल्कि वह खुद उसे परेशान किया करता था. उसने यह भी कहा कि अगर उसे पैसे चाहिए होते तो वह घर छोड़कर नहीं जाती. अतुल सुभाष ने अपने 24 पन्नों के सुसाइड नोट और 80 मिनट के वीडियो में निकिता और उसके पूरे परिवार पर आरोप लगाया कि उन्होंने उसके और उसके परिवार पर क्रूरता और दहेज उत्पीड़न के झूठे मामले दर्ज कराए हैं ताकि उनसे पैसें ऐठें जा सकें. उसने कहा कि उसने मामले को निपटाने के लिए 3 करोड़ रुपये की बड़ी रकम मांगी थी. 

बता दें कि बीते सोमवार को बेंगलुरु में अपने घर में अतुल का शव मिला था. उसके भाई विकास कुमार की शिकायत के बाद पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है. उसके परिवार ने यह भी कहा है कि वे बच्चे की कस्टडी चाहते हैं. प्रारंभिक जांच के अनुसार, अतुल ने अपनी मौत से 15 दिन पहले ही आत्महत्या करने की योजना बना ली थी. उसने गूगल पर कानूनी मुद्दों के बारे में सर्च किया था और मौत से तीन दिन पहले ही नोट लिख लिया था.

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